..सारें के सारें राज़ बदल गए..
..खामोशियों के भी कई चेहरें हो गए..
..ढूँढ सकूं कोई अपना इस जहां से..
..घर के घर नक्शें बदल गए..
..लिए चला था जो सेहरां खुद का..
..इस तपन से उलझ के रह गए..
..आँखें लगती रही मुकाम मेरी..
..किस्मत जल के मेरें रह गए..
..ख़्वाबों के जहां भी अब फ़रेब हो गए..
..ढूढां करता था जो सकूं..
..वो बाहें भी रकीब के होके रह गए..
..अब इन खामोशियत से तुम पेहरा हटाओं वर्मा..
..समुन्दर के समुन्दर आँखों से बह गए..!
..खामोशियों के भी कई चेहरें हो गए..
..ढूँढ सकूं कोई अपना इस जहां से..
..घर के घर नक्शें बदल गए..
..लिए चला था जो सेहरां खुद का..
..इस तपन से उलझ के रह गए..
..आँखें लगती रही मुकाम मेरी..
..किस्मत जल के मेरें रह गए..
..ख़्वाबों के जहां भी अब फ़रेब हो गए..
..ढूढां करता था जो सकूं..
..वो बाहें भी रकीब के होके रह गए..
..अब इन खामोशियत से तुम पेहरा हटाओं वर्मा..
..समुन्दर के समुन्दर आँखों से बह गए..!
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