Monday, 5 May 2014

..कभी धूप मेरे हिस्सें भारी पडी कभी पानी..

..रेंत से समुन्दर का सफ़र तय किया हैं..
..जो भी किया हैं खुद से किया हैं..

..कभी धूप मेरे हिस्सें भारी पडी कभी पानी..
..मैंनें खतरों से ये ज़िन्दगी तय किया हैं..

..हर रोज़  जलाता था जो मैं दीया..
..आँखों से अपनें बुझा दिया हैं..

..तेरे नाम से जो रौशनी बनती थीं..
..वो अँधेरों से छूपा दिया हैं..

..अब मत कर मुझे अपनें हवालें..
..ज़िन्दगी को मैंनें मौत से मिला दिया हैं..

..तू बेसबर हैं मेरे हौसलों की तरह..
..मैंनें चेहरें को तेरे सपनों से मिला दिया हैं..

..मैंनें दिल से तुझे अब ठुकरा दिया हैं..
..शायरी से मैंनें ये सबको समझा दिया हैं..

..अब ख़ामोश ही रहना तुम मेरे मामलों में..
..मैंनें ज़िन्दगी से तुम्हें अपनी निकाल दिया हैं..!


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