Wednesday, 21 May 2014

..सताती ना तेरी याद तो मैं भी काम का होता..

..ज़मानें की सलवटों में ढाल दिया गया हूँ..
..मैं सिक्कों की तरह यूं खुलेआम उछाल दिया गया हूँ..
..बटोरनें को तो यूं सारा ज़माना चाहता हैं मुझे..
..दिल से जो मैं तेरे निकाल दिया गया हूँ..

..तुम्हारें ख़्वाबों के बाद जहां और भी हैं..
..किसी ने कहा था इस लडकी के बाद शमां और भी हैं..
..मैं कैसे मान बैठूं उसकी बातों को..
..कहीं कभी जां के बाद ज़िन्दगी और भी हैं..

..सताती ना तेरी याद तो मैं भी काम का होता..
..ज़िन्दगी में दो पल ही सहीं पर सूकूं का तो होता..
..अब कौन बताएँ ज़मानें को यूं फ़रेब की बात..
..मुहब्बत ना होता उनसे तो कुछ और होता..!

..नितेश वर्मा..


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