ये इश्क़ वादे भी हज़ार करता है
कमबख़्त! ऐसे ये प्यार करता है।
कइयों मानी में जब्त हुआ था जो
वो शे'र मुझे असरदार करता है।
तन्हाई में कई बार ख़याल आया
मेरा ज़िस्म भी व्यापार करता है।
जब डूबने लगी तमाम ख़्वाहिशे
लगा दिल कुछ उधार करता है।
करवटें लेती रहीं थी सिसकियाँ
ख़बर तो खड़ा दीवार करता है।
वो मुझमें मुद्दा उठाता है हरबार
वही ख़ुदको अखबार करता है।
जो उलझते रहे थे हम ख़ुदसे ही
इसपे ही वो जाँनिसार करता है।
था कोई ये हक़ीकत का क़िस्सा
इल्म ख़ूब हो तकरार करता है।
जब भी गुजरता हूँ मैं तिरगी से
वो आके मुझे गुलज़ार करता है।
उल्फ़त की गर्मी ऐसी लगी वर्मा
देखा इश्क़ भी बीमार करता है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
कमबख़्त! ऐसे ये प्यार करता है।
कइयों मानी में जब्त हुआ था जो
वो शे'र मुझे असरदार करता है।
तन्हाई में कई बार ख़याल आया
मेरा ज़िस्म भी व्यापार करता है।
जब डूबने लगी तमाम ख़्वाहिशे
लगा दिल कुछ उधार करता है।
करवटें लेती रहीं थी सिसकियाँ
ख़बर तो खड़ा दीवार करता है।
वो मुझमें मुद्दा उठाता है हरबार
वही ख़ुदको अखबार करता है।
जो उलझते रहे थे हम ख़ुदसे ही
इसपे ही वो जाँनिसार करता है।
था कोई ये हक़ीकत का क़िस्सा
इल्म ख़ूब हो तकरार करता है।
जब भी गुजरता हूँ मैं तिरगी से
वो आके मुझे गुलज़ार करता है।
उल्फ़त की गर्मी ऐसी लगी वर्मा
देखा इश्क़ भी बीमार करता है।
नितेश वर्मा
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