मैं हूँ कहाँ, मुझे ये ख़बर नहीं
कोई दवा भी मुझे असर नहीं।
मैं स्याह रात हूँ वो काली घटा
ये बारिश है कोई कहर नहीं।
जबतक गुमान है मरना होगा
क़त्ल होगा भी तो मगर नहीं।
वो शाम प्याला होंठों पर लेके
कहेगी पीलो ये है ज़हर नहीं।
शायद मैं ही ग़लत होऊँ वर्मा
ये बदला हुआ मेरा शह्र नहीं।
नितेश वर्मा
कोई दवा भी मुझे असर नहीं।
मैं स्याह रात हूँ वो काली घटा
ये बारिश है कोई कहर नहीं।
जबतक गुमान है मरना होगा
क़त्ल होगा भी तो मगर नहीं।
वो शाम प्याला होंठों पर लेके
कहेगी पीलो ये है ज़हर नहीं।
शायद मैं ही ग़लत होऊँ वर्मा
ये बदला हुआ मेरा शह्र नहीं।
नितेश वर्मा
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