आइये इक और क़त्ल करते है
थोड़ा बुरा और शक्ल करते है।
उसकी शाम रोशन कैसे रहेगी
चलो कुछ और दख़्ल करते है।
देखकर उस शाख की दरख़्त
कुछेक हम भी नक्ल करते है।
हमारा वजूद भी मिट्टी में मिला
हमीं बयां हाले-दिल करते है।
के दावेदार भी बहुत है यूं वर्मा
जो मुझे ही बद्शक्ल करते है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
थोड़ा बुरा और शक्ल करते है।
उसकी शाम रोशन कैसे रहेगी
चलो कुछ और दख़्ल करते है।
देखकर उस शाख की दरख़्त
कुछेक हम भी नक्ल करते है।
हमारा वजूद भी मिट्टी में मिला
हमीं बयां हाले-दिल करते है।
के दावेदार भी बहुत है यूं वर्मा
जो मुझे ही बद्शक्ल करते है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
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