#हिंदीदिवस
अग़र वीराने-ख़्वाब से रिहा हो चुके हैं तो हिंदी दिवस की ओर ग़ौर फ़रमा ले। ये बाहें खोलें आपका इंतज़ार कर रही है। भावुकता से उठाने या थामने की ज़रूरत नहीं है और ना ही अश्रुपूर्ण दो-चार कविताओं को परोसने की। हिंदी को आपसे बस मुहब्बत की जरूरत है वो थोड़ी सी भी हो तो चलेगी।
हिंदी में अँग्रेज़ी का प्रयोग हिंदी के ठेकेदारों को ग़लत लग सकता है लेकिन आप अग़र इसके साथ Comfortable है तो ज़रूर ऐसा कीजिये। सबकुछ सबके मुताबिक़ नहीं होता। हिंदी अपनाइये बग़ैर शर्त या किसी शर्त के वो आप पर निर्भर करता है। सवाल उठाने वाले तो कई दिग़ज्जों पर सवाल उठा चुके हैं। दुष्यंत कुमार जी के शे'र-
तू किसी रेल सी गुजरती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ।
पर भी सवाल उठाया गया है कि रेल हिंदी या उर्दू नहीं बल्कि अँग्रेज़ी का शब्द है उन्हें ऐसा शे'र नहीं कहना चाहिये था।
फ़ैज अहमद फ़ैज साहब ने "हिंदी में अँग्रेज़ी का आगमन"- पर बहुत ही बेहतरीन तरीके से एक बात समझायी है।
शब्द अँग्रेज़ी का है Bore यानी कि उबन। इस Bore से हिंदी के ठेकेदारों को कई परेशानी रही है। मग़र आज देखिये हर कोई अपने लिखावट में बोरियत शब्द का इस्तेमाल नि:संकोच करता है उसे उर्दू का बताकर।
नयी शब्दों का आगमन भी ज़रूरी है। मग़र हिंदी की बनी-बनायी दुनिया इसे रत्तीभर भी अमल में नहीं लेती है। सोचिये अग़र मशहूर गीतकार शैलेंद्र जी- ज़िंदगी से ज़िंदगानी का ईज़ाद ना करते तो क्या आज के कई शे'र इतने खूबसूरत हो सकते थे?
हिंदी अपनाइये, हिंदी बढ़ाइये, नये शब्द बनते हैं तो उन्हें सराहिये। ज़्यादा और कुछ लिखने से अच्छा है एक कविता पढ़ लीजिये शायद विचार हमसाथ हो जाये।
विश्व इतिहास में जब एक पुस्तक धाराशायी थी
और मंत्र फ़ूँकते हुये कुछ तांत्रिक
तब रटे जा रहे थे हिंदी.. हिंदी.. हिंदी..
अग्नि की लपटें तीन सौ ग़ज ऊपर उठीं थी
बस्तियाँ जब जल रही थी.. लोग झुलस रहे थे
तांत्रिक पसीने से तर-ब-तर होकर
जब एकसुरी अश्रुपूर्णित मंत्र पढ़े जा रहे थे
हिंदी भीषण जगाये जा रहे थे दिलों में सबके
के यकायक आकाशवाणी हुयी और
सब थर्रा गये-
ऐ! मूर्ख हिंदी जलाकर हिंदी बचा रहे हो?
अब समेटते रहो पीढ़ियों दर पीढ़ियाँ
हिंदी बहुत वक़्त लेगी फ़िर से लौट के आने में
मनाओ हिंदी दिवस और कोसों ख़ुदको
हिंदी तैरती आकाश में कहीं दूर जा रही थी
और सब हिंदी अर्थी ठेकेदार हाथ जोड़े
Oh! My god कह रहे थे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #HindiDiwas2016
अग़र वीराने-ख़्वाब से रिहा हो चुके हैं तो हिंदी दिवस की ओर ग़ौर फ़रमा ले। ये बाहें खोलें आपका इंतज़ार कर रही है। भावुकता से उठाने या थामने की ज़रूरत नहीं है और ना ही अश्रुपूर्ण दो-चार कविताओं को परोसने की। हिंदी को आपसे बस मुहब्बत की जरूरत है वो थोड़ी सी भी हो तो चलेगी।
हिंदी में अँग्रेज़ी का प्रयोग हिंदी के ठेकेदारों को ग़लत लग सकता है लेकिन आप अग़र इसके साथ Comfortable है तो ज़रूर ऐसा कीजिये। सबकुछ सबके मुताबिक़ नहीं होता। हिंदी अपनाइये बग़ैर शर्त या किसी शर्त के वो आप पर निर्भर करता है। सवाल उठाने वाले तो कई दिग़ज्जों पर सवाल उठा चुके हैं। दुष्यंत कुमार जी के शे'र-
तू किसी रेल सी गुजरती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ।
पर भी सवाल उठाया गया है कि रेल हिंदी या उर्दू नहीं बल्कि अँग्रेज़ी का शब्द है उन्हें ऐसा शे'र नहीं कहना चाहिये था।
फ़ैज अहमद फ़ैज साहब ने "हिंदी में अँग्रेज़ी का आगमन"- पर बहुत ही बेहतरीन तरीके से एक बात समझायी है।
शब्द अँग्रेज़ी का है Bore यानी कि उबन। इस Bore से हिंदी के ठेकेदारों को कई परेशानी रही है। मग़र आज देखिये हर कोई अपने लिखावट में बोरियत शब्द का इस्तेमाल नि:संकोच करता है उसे उर्दू का बताकर।
नयी शब्दों का आगमन भी ज़रूरी है। मग़र हिंदी की बनी-बनायी दुनिया इसे रत्तीभर भी अमल में नहीं लेती है। सोचिये अग़र मशहूर गीतकार शैलेंद्र जी- ज़िंदगी से ज़िंदगानी का ईज़ाद ना करते तो क्या आज के कई शे'र इतने खूबसूरत हो सकते थे?
हिंदी अपनाइये, हिंदी बढ़ाइये, नये शब्द बनते हैं तो उन्हें सराहिये। ज़्यादा और कुछ लिखने से अच्छा है एक कविता पढ़ लीजिये शायद विचार हमसाथ हो जाये।
विश्व इतिहास में जब एक पुस्तक धाराशायी थी
और मंत्र फ़ूँकते हुये कुछ तांत्रिक
तब रटे जा रहे थे हिंदी.. हिंदी.. हिंदी..
अग्नि की लपटें तीन सौ ग़ज ऊपर उठीं थी
बस्तियाँ जब जल रही थी.. लोग झुलस रहे थे
तांत्रिक पसीने से तर-ब-तर होकर
जब एकसुरी अश्रुपूर्णित मंत्र पढ़े जा रहे थे
हिंदी भीषण जगाये जा रहे थे दिलों में सबके
के यकायक आकाशवाणी हुयी और
सब थर्रा गये-
ऐ! मूर्ख हिंदी जलाकर हिंदी बचा रहे हो?
अब समेटते रहो पीढ़ियों दर पीढ़ियाँ
हिंदी बहुत वक़्त लेगी फ़िर से लौट के आने में
मनाओ हिंदी दिवस और कोसों ख़ुदको
हिंदी तैरती आकाश में कहीं दूर जा रही थी
और सब हिंदी अर्थी ठेकेदार हाथ जोड़े
Oh! My god कह रहे थे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #HindiDiwas2016
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