Wednesday, 12 October 2016

यूं ही एक ख़याल सा- सौदा-ए-समझदारी

और बता लड़का पसंद आया?
किसे..? कौन सा लड़का..? पाग़ल हो गई है क्या..?
अब ज्यादा मत बन, तेरी ही बात कर रही हूँ। सुना है मैंने.. सुबह तुझे देखने के लिए कुछ लोग आए थे।
उम्म्म्म्म...
क्या पसंद आयेगा और वैसे भी मैं नहीं गई थी पसंद करने.. वो आया था मुझे देखने-छांटने।
अच्छा। फिर?
बोला उन लोगों ने लड़की पसंद है।
वाह! चल सबको बताती हूँ और ये बता पार्टी के लिए सबको कब बुलाऊँ?
मत बुला यार! और जो इतना चहक रही है ना बस एक बार लड़के को देख लोगी तो मातम मनाती फिरोगी।
अच्छा, ऐसा क्या है उसमें?
अबे यार! एक तो इतना मोटा है कि कोई बहस ही ना की जा सके.. ऊपर से इतना काला है कि लगता है किसी ने पूरे शरीर पर कालिख़ पुत दी हो.. उसे देखकर बड़ा जी घबराता है यार!
तो मना क्यूं नहीं कर दिया तुमने?
अब मैं कैसे मना करूँ, उसे पापा ने पसंद किया है मेरे लिए। सुनने में आया है काफ़ी दौलतमंद है। अब किसी ना किसी से तो शादी करनी ही है ना तो इससे ही कर लेती हूँ, घरवाले भी ख़ुश हो जायेंगे और ये ज़िन्दगी से पैसों की किल्लत भी हट जायेगी।
हुम्म्म! मतलब तू शादी नहीं सौदा कर रही है। ठीक ही किया जो किसी को नहीं बताया तुमने और वैसे भी तुम्हारे इस सौदे में आकर हमलोग क्या करेंगे। मेरी तरफ़ से बेफ़िक्र रह मैं ना तो किसी को कुछ बताऊंगी और ना ही इस सौदे में कोई गवाह बनने आऊंगी। चल बाय! रखती हूँ।
अरे सुन तो... स..।
और सुन.. रखा नहीं है अब तक.. जो तू इतनी समझदार बनकर सबको अपना चेहरा दिखा रही है ना.. ये लोग जो शादी से पहले कहते है ना कि बेटी पराई धन होती है वो बाद में ये साबित भी करके दिखा देते है। जब कभी लड़के या उसके परिवार वालों से अनबन हुई ना तो यही लोग तुझे कोसेंगे.. समझी.. और ताना देंगे कि तेरी ही मर्जी से हुई थी शादी। और अपना पल्ला झाड़ते चलेंगे.. बड़ी आई बाप की लाड़ली।
चल अब रख दे, मूड ठीक होगा तो फिर बात होगी। 😊

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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