फिर बहुत देर तक आज उजाला होगा
ज़िक्र होगा उनका तो संग प्याला होगा।
मोहब्बत का उड़ाते हो मज़ाक तुम भी
जिस्म गोरी हो, मग़र दिल काला होगा।
किसी आलीशान से शहर में क़ैद हूँ मैं
जल्द ही सुना है कि घर निकाला होगा।
जब भी ख़्वाब मुहाज़िर होकर भागे थे
समझ गया था मैं जाँ भी दीवाला होगा।
बद्ज़ुबानी में उम्र गुजारी तमाम वर्मा
बद्ऐहतियाती मेरे मुँह में छाला होगा।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
ज़िक्र होगा उनका तो संग प्याला होगा।
मोहब्बत का उड़ाते हो मज़ाक तुम भी
जिस्म गोरी हो, मग़र दिल काला होगा।
किसी आलीशान से शहर में क़ैद हूँ मैं
जल्द ही सुना है कि घर निकाला होगा।
जब भी ख़्वाब मुहाज़िर होकर भागे थे
समझ गया था मैं जाँ भी दीवाला होगा।
बद्ज़ुबानी में उम्र गुजारी तमाम वर्मा
बद्ऐहतियाती मेरे मुँह में छाला होगा।
नितेश वर्मा
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