Wednesday, 12 October 2016

अभी भी हूँ.. वही मैं बिखरने वाला

अभी भी हूँ.. वही मैं बिखरने वाला
जहाँ कल तलक था मैं सुधरने वाला।

मुझे जाने ख़बर होती कि ना होती
ख़ुदा तू ही बता सब विचरने वाला।

मिरी आँखें जवां थी.. तब गुमाँ थी वो
मुझे मारा कि मैं ही था ठहरने वाला।

शहर भर में.. सुनाया था किसी ने ये
कि वो अब है मुझी में निखरने वाला।

किसी से ज़िंदगी भर ये गिला लिपटा
वही है.. अब मुझी में गुजरने वाला।

नितेश वर्मा

#Niteshvermapoetry

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