हमीं को सब नज़्रे दिखाएँ हुए है
हमीं है जो बारहां मिटाएँ हुए है।
हमीं करते थे इश्क़े-कारोबार'
हमीं है जो नज़रे छिपाएँ हुए है।
हमीं घायल होते रहे पत्थरों से
हमीं है जो दीवार बनाएँ हुए है।
हमीं रोकते थे ख़ुदको बारहां
हमीं है जो दिल लगाएँ हुए है।
हमीं ने रिश्ता तोड़ा था उनसे
हमीं है जो सीने दबाएँ हुए है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
हमीं है जो बारहां मिटाएँ हुए है।
हमीं करते थे इश्क़े-कारोबार'
हमीं है जो नज़रे छिपाएँ हुए है।
हमीं घायल होते रहे पत्थरों से
हमीं है जो दीवार बनाएँ हुए है।
हमीं रोकते थे ख़ुदको बारहां
हमीं है जो दिल लगाएँ हुए है।
हमीं ने रिश्ता तोड़ा था उनसे
हमीं है जो सीने दबाएँ हुए है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
No comments:
Post a Comment