Monday, 5 September 2016

एक छोटी सी कहानी: ओलंपिक

P.T. टीचर : बच्चों.. ये हम भारतीयों के लिए कितनी शर्मिंदगी की बात है कि इस बार भी हम ओलंपिक में मैडल नहीं जीत पाए।
अच्छा! ये बताओ क्या यहाँ कोई ऐसा है जो भारत के लिए ओलंपिक से मैडल लाने की ख़्वाहिश रखता हो।
बच्चे टीचर की बात सुनकर एक-दूसरे से काना-फूसी करने लगा तो टीचर ने कहा -
किसी से डरने या शर्मांने की कोई जरूरत नहीं है, जो ऐसा चाहता है वो बताएँ.. मैं उसकी मदद करूँगा, उसे वो भरपूर ट्रेनिंग देने की कोशिश करूँगा, जो हमारे वक्त में हमें किसी ने नहीं दिया था।
पीछे बैठे पप्पू ने फिर नि:संकोच हाथ उठाया- सर! मैं। मैं ले आऊंगा अपने देश के लिए ओलंपिक मैडल।
P.T. टीचर : शाबाश पप्पू। मैं तुम्हें..
अरे मिश्रा जी.. मैथ्स के राय सर ने अचानक क्लास में आते हुए कहा..
मिश्रा जी, वो प्रिंसिप्ल सर ने कहा है कि आपकी क्लास लेकर मैं अपनी सिलेब्स पूरी करा दूँ। आप कल से मेरी क्लास ले लीजियेगा.. आज तो बस आराम कीजिए.. जाइये.. हीही हीही।
मिश्रा जी क्लास छोड़कर जाने लगे तो देखा कि पप्पू उनकी तरफ़ बेपलक झपकाए बड़ी बेसब्री से देखें जा रहा है। मिश्रा जी ने ख़ुदसे शर्मां कर पप्पू से नज़रें फ़ेर ली और फिर ख़ुदको कोसते क्लास से बाहर चले गए.. ये बड़बड़ाते हुए.. भगवान जाने इस देश का क्या होगा?
..शायद फिर इस बार मैथ्स से ओलंपिक मैडल लाऐंगे.. हुम्म्म्म्म।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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