अलिफ़ मअद आ की तरह हो तुम भी
जो मेरी कोशिशों के बावजूद भी
मुझसे हर दफ़ा अलग रहना चाहती हो
उस बूढ़े हम्ज़ा के झांसे में आकर
मैं बार-बार तुम्हें समेटता हूँ
उस नून के नुक़्ते की तरह दिल के
एकदम बीच रखकर बुनना चाहता हूँ
एक अमर प्रेम-कहानी जैसे
काफ और अलिफ़ मिलकर हो जाते हैं का
मैं सबसे छिपाकर तुम्हें रखना चाहता हूँ
जैसे जिम के अंदर उसका एक नुक़्ता
मैं चाहता हूँ कि कभी तुम भी उस
अलिफ़ और छोटी अय की तरह
साथ मिलकर ख़ुशनुमाँ दो सितारों की
एक हसीन सी क़ायनात बनाओ
मग़र जब भी मैं तुम्हें ढ़ूंढता हूँ ख़ुद में
तुम जाने मुझसे निकलकर कहाँ
चली गई होती हो
और मैं चीख़ता रहता हूँ ख़लाओं में
जैसे उस नून के नुक़्ते के
उससे अलग होने पर बेहाल नून गुना।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जो मेरी कोशिशों के बावजूद भी
मुझसे हर दफ़ा अलग रहना चाहती हो
उस बूढ़े हम्ज़ा के झांसे में आकर
मैं बार-बार तुम्हें समेटता हूँ
उस नून के नुक़्ते की तरह दिल के
एकदम बीच रखकर बुनना चाहता हूँ
एक अमर प्रेम-कहानी जैसे
काफ और अलिफ़ मिलकर हो जाते हैं का
मैं सबसे छिपाकर तुम्हें रखना चाहता हूँ
जैसे जिम के अंदर उसका एक नुक़्ता
मैं चाहता हूँ कि कभी तुम भी उस
अलिफ़ और छोटी अय की तरह
साथ मिलकर ख़ुशनुमाँ दो सितारों की
एक हसीन सी क़ायनात बनाओ
मग़र जब भी मैं तुम्हें ढ़ूंढता हूँ ख़ुद में
तुम जाने मुझसे निकलकर कहाँ
चली गई होती हो
और मैं चीख़ता रहता हूँ ख़लाओं में
जैसे उस नून के नुक़्ते के
उससे अलग होने पर बेहाल नून गुना।
नितेश वर्मा
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