Monday, 5 September 2016

इश्क़ करते हो तो करो.. लेकिन ये याद रहे

इश्क़ करते हो तो करो.. लेकिन ये याद रहे
वो कोई गिला लेकर ना बैठ जाये तुमसे
तुम किसी आदत ना मुकर जाओ उससे
इश्क़ में तुम्हारे कोई दरार ना आये तुमसे
कभी वो आँखें नम ना हो जाये तुमसे
किसी दिन ऐसा ना हो कि तुम दग़ा करो
फिर वो अपनी आँखों से ख़ुश्क लहू बरसाए
वो लहू जो तुम्हारे ज़िस्म से चिपक जायेगा
तुम कुरेदोगे और वो तुममें जमता जायेगा
लोग हर बार देखकर तुमको पूछेंगे तुमसे
उस चेहरे के बारे में जो झलकेगा तुममें
तुम चीख़ोगे, चिल्लाओगे ख़ुदपे झुझंलाओगे
उसकी चुप्पियाँ हर बार कचोटती तुमको
तुम्हारे धड़कनो की धज्जियों को उड़ाऐगी
तुम्हारे ख़्यालों के खेत में उसकी सफ़ेद ओस
जो मुठ्ठियों में भरकर वो चाँद को सब बताऐगी
तुम कैसे देख पाओगे ये सब अपनी निगाहों से
अपनी वक़ालत में सबूतों को लेकर जो आओगे
क्या इस हालत में एक लफ़्ज़ भी बोल पाओगे
इश्क़ करते हो तो करो.. लेकिन ये याद रहे।

नितेश वर्मा



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