Monday, 5 September 2016

आज़ादी मुबारक़

पिछले ७० साल की आज़ादी पर आपने ग़र भारत का स्वरूप जैसे सोचा था, अग़र वो उसपर ख़रा उतरा है.. तो आपको आज़ादी मुबारक़। और जिन्हें तक़लीफ है उनको ढेरों सहानुभूति। आपके ईमानदारी को देखते हुए ही सारे आफ़िसों में आज बावजूद सोमवार होते हुए भी छुट्टी कर दी गईं हैं।
ख़ैर, गिले-शिकवे तो होते रहेंगे। अग़र आज़ादी के दिन आपको खुशी से जीने का या कुछ कहने का हक़ आपका मुल्क आपको दे तो यक़ीन मानिये यहीं आज़ादी है। जब प्रेमिका आपकी बाहों में बाह ड़ाले एक सफ़र पर चलने को तैयार हो.. हल्की बारिश आपके रूह को छूती रहे। बार-बार झूमती हवाएँ आकर आपसे लिपट जाएं.. बच्चों की एक टोली इंक़लाब बोलते आपके सामने से गुजर जाएं। फिर आप यक़ीन मानिये यहीं आज़ादी है क्योंकि दरअसल हम आम आदमी आम सी बातों पर खुश हो जाते हैं और हमारे लिये यहीं आज़ादी साबित होती है।
P.S. :- अग़र आफ़िस से दो लड्डू ज्यादा पन्नी में लपेटकर ले आये हैं.. तो यक़ीन मानिये आज के दिन आपसे ज्यादा खुशनसीब कोई नहीं।
जय हिंद.. जय भारत.. वंदे मातरम्।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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