एक अदब से उसने थप्पड़ मारा है
फिर भी लगा.. मुझे बड़ा करारा है।
वो पत्थर भी मारेगा बताया है उसने
अभी तो उसने मुझे थोड़ा सुधारा है।
धुएँ में रोशनी अज़ीब लगती है ना
इश्क़ जैसे कोई मौसमे-बहारा है।
रात की ख़ामोशी में भागा था मैं भी
लोग अबतक हैं कहते के बेचारा है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
फिर भी लगा.. मुझे बड़ा करारा है।
वो पत्थर भी मारेगा बताया है उसने
अभी तो उसने मुझे थोड़ा सुधारा है।
धुएँ में रोशनी अज़ीब लगती है ना
इश्क़ जैसे कोई मौसमे-बहारा है।
रात की ख़ामोशी में भागा था मैं भी
लोग अबतक हैं कहते के बेचारा है।
नितेश वर्मा
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