Friday, 27 June 2014

..थोडी देर और ठहर के जा..

..थोडी देर और ठहर के जा..
..के बातें आज़ भी वो बाकी हैं..
..सुनाना हैं..
..जो हैं बीता हुआ..
..गज़ल जुबां पे वो आज़ भी बाकी हैं..
..सीनें से जैसे तुम्हें लगाया करता था..
..आज़ जो तुम नहीं..
..तो सीनें पे ये बोझ भारी हैं..
..गलत बातों से..
..ज़मानें के बहकावों से..
..तुमसे जो मैं बेरूख हुआ..
..मेरी आँखों में देखों तुम..
..पछतावा आज़ भी वो बाकी हैं..
..थोडी देर और ठहर के जा..
..के बातें आज़ भी वो बाकी हैं..

..नितेश वर्मा..

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