..मिलती नहीं कामयाबी..
..हर मंजिल से गुजर के देख लिया..
..होते नहीं वो मेरें..
..मैंनें हर मंजर से गुजर के देख लिया..
..अफसोह रहती थीं..
..लेके उन्हें दिल में कहीं..
..आज़ गुमनाम खताओं से भी..
..मैंनें गुजर के देख लिया..
..कितनी शिद्दत से..
..कुछ लिक्खा था उनकी यादों में..
..नाराज़ हुएं जो..
..तो उसे जला के भी देख लिया..
..हर कांड करके देख लिया..
..फुरसत से मिल जाएं वो कभी..
..मैनें दिन में रात करके देख लिया..
..खोया रहता हूँ जिस कदर मैं उनकी यादों में..
..वहम तो नहीं..
..हाथों को दिल पर..
..रख कर भी देख लिया..
..मेरे मरनें के बाद..
..वो मिलनें मुझसे आऐंगे..
..इस सोच में..
..ज़िन्दगी डूबों कर भी देख लिया..
..हर कोशिश करके देख लिया..
..किस्मत में हैं परेशानी..
..हर मंदिर से गुजर के देख लिया..
..कोई बात नहीं दिल हैं सयाना..
..टूटा हैं..
..पर रोता नहीं..
..मैनें उसके रूह से गुजर के देख लिया..!
...नितेश वर्मा..
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