Thursday, 26 June 2014

Nitesh Verma Poetry

[1] ..बर्बाद हुआ वो शहर हूँ..
..जल गया हूँ तो क्या..
..अंदर हूँ आज भी सबके..
..खाख हो गया हूँ तो क्या..

[2] ..कोई इंनकारें इस बात से तो वो और बात हैं..
..उसकी यादों में तो मैनें खुद को भूलाया हैं..!

..नितेश वर्मा..

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