..सारें के सारें राज़ उल्झ के आ गए..
..देखा जब तस्बीर में तस्वीर..
..तो होश उड के आ गए..
..बनाया हर बच्चें को अपनें मकाँ की तरह..
..आज़ पडे हैं जान को..
..तो आँख भर के आ गए..
..तौबा किया करता था जिस कुरान से..
..पडी हलक में जान..
..तो बिस्मिल्लाह निकल के आ गए..
..हम सुनाएं क्या दर्द-ए-हाल अपना..
..दीदार को तेरे..
..हम रूखसत पे आ गए..
..हम रूठे सही पर घर को आ गए..
..जैसे समुन्दर से कटकर रेंत रस्तें आ गए..!
..नितेश वर्मा..
..देखा जब तस्बीर में तस्वीर..
..तो होश उड के आ गए..
..बनाया हर बच्चें को अपनें मकाँ की तरह..
..आज़ पडे हैं जान को..
..तो आँख भर के आ गए..
..तौबा किया करता था जिस कुरान से..
..पडी हलक में जान..
..तो बिस्मिल्लाह निकल के आ गए..
..हम सुनाएं क्या दर्द-ए-हाल अपना..
..दीदार को तेरे..
..हम रूखसत पे आ गए..
..हम रूठे सही पर घर को आ गए..
..जैसे समुन्दर से कटकर रेंत रस्तें आ गए..!
..नितेश वर्मा..
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