Monday, 30 June 2014

..मर जाता हैं कोई तो रोतें हैं सब..

..अंज़ान राहों से गुजरतें हैं सब..
..आज़ भी मुहब्बत करतें हैं सब..

..कर देता हैं पूरी जो दुआ हैं सब..
..रब के सामनें घुटने टेकते हैं सब..

..होगा क्या सहीं सोचतें हैं सब..
..जब दुश्मनों से दोस्ती करते हैं सब..

..मैं तकलीफ़ में हूँ तो खुश होतें हैं सब..
..मर जाता हैं कोई तो रोतें हैं सब..

..कैसी दुनियां और कैसे नज़ारें हैं सब..
..पडी हलक में जान तो रोतें हैं सब..

..आँख में आँख डाल झूठ बोलतें हैं सब..
..होता क्या हैं हर्श नहीं देखतें हैं सब..

..मंज़ूर-ए-खुदा, मंज़ूर-ए-इश्क हैं सब..
..तो फ़िर क्यूं ज़मानें से नफ़रत करतें हैं सब..

..तन्हाइयों में भी साथ देते हैं सब..
..जब बात अदब से करतें हैं सब..!

..नितेश वर्मा..

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