Sunday, 1 June 2014

..इस परेशां को तुमनें सुना ना कभी..

..गुजर गए मौसम सभी..
..तुमनें बदलना ना चाहा कभी..

..धूंधती रही हर वक्त अपनी तुम..
..इस परेशां को तुमनें सुना ना कभी..

..रोया था बहोत मुकर जानें पे तेरे..
..किस कदर हुआ था हाल..
..तुमनें देखा ना कभी..

..मैं ही था जो एक पाप का भागी..
..तुमनें मरनें पे भी मुझे देखा ना कभी..!

..नितेश वर्मा..


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