Friday, 6 June 2014

..खैलन संग मोर पिया अब मोर भी नाचन आएं हैं..

..भोर भए आरूण अब अंगना आएं हैं..
..खैलन संग मोर पिया अब मोर भी नाचन आएं हैं..

..ठंडी-ठंडी बहती हवाएं पास ये बुलावत हैं..
..हम का करें जब रिमझिम बारिश प्यार लुटावत आएं हैं..

..सोलह-सिंगार करें पिया हाथ में कंघना खनकावत आएं हैं..
..मोर भगावत दौडें पडे हैं नजरों पे उनकें हम ना आएं हैं..

..देख हमका वो लजावत हैं सर पे पैर रख नजरों से ओझल हो जावत हैं..
..जा ओट सहारें राम-राम सीनें धक-धक साथ ये पुकारत हैं..

..अब का करें सोच शर्म से लाल-लाल चेहरा हो जावत हैं..
..हमका अपना पिया समझों गलें लगा के हम ये समझावत हैं..

..आँख बंद हैं पडी रही उनकी किसकों हम ये समझावत हैं..
..उफ़ हो गई देर अब का कारण हैं पिया के जुल्फ़ों में उलझत जात जान हमारन हैं..!

..नितेश वर्मा..

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