Thursday, 5 June 2014

असफ़लता और बहानें

मनुष्य असफल होनें पे उसका भागी खुद को समझें और उस गलती को सुधारनें की दिशा में अगली प्रयास करें तो वो मनुष्य अपनी किसी अगली प्रयास में सफ़लता को जरूर प्राप्त कर लेता हैं, परंतु जो मनुष्य अपनें असफ़लता को स्वीकार नहीं करतें और मनचाहें हथकंडे अपनातें हैं जैसे पेपर बहोत हार्ड आया था या फ़िर किस्मत ने साथ नहीं दिया मैंनें तो सब करा था इत्यादि। ये सब पैंतरें अपना कर वो खुद को या फ़िर अपनें परिवार-समाज़ को अपनें गलतियों का ज़िम्मेदारित्व इन्हें देते हुएं निकल जातें हैं। तो मैं उन्हें बता दूं कि परीक्षा का जो स्तर होता हैं वो उसी स्तर का होता हैं जिससे नियुक्तियाँ पूरी हो जाएं वो आपकी स्तर का कोई ख्याल नहीं रखती और जहाँ तक बात हैं आपकी किस्मत की तो मैं भी कोई नास्तिक नहीं किस्मत एक बार साथ नहीं दे सकती दो बार नहीं दे सकती लेकिन ये बार-बार हो तो ये किस्मत नहीं आपकी अपनी कोई कमी हैं जिसे आप पूरा नहीं कर पा रहें और भगवान या किस्मत को अपनी गलतियों का जिम्मेवार बतला रहें हैं। हो सकता हैं आपके अपनें इस बात को मान भी ले और आपका साथ दे। आपके लिए पूजा-पाठ कराएं, तीर्थ करानें ले जाएं इत्यादि अनेक। मैं ये नहीं कहता ये नहीं करनें चाहिएं पर इस मकसद के साथ नहीं करने चाहिए। यर्जुवेद कहता हैं साकाम प्राथना भगवान को भी बाधित करता हैं इससे सृष्टि की संरचना पे भी असर होता हैं, एक समस्या के सामाधान के लिए पूरी काया पलटनी पडती हैं। मनुष्य को अपनें गलतियों का माननें और उन्हें समझ-विचार करनें की सोच होनी चाहिए। यदि आप एक प्रयास से नहीं निकल पातें तो इसका मतलब ये नहीं की आप लायक नहीं हैं। आप बेशक उसे हासिल कर सकतें हैं परंतु सही दिशा एक निरंतर लगन की जरूरत हैं। आपको जरूरत हैं आप इस सामाजिक बनावट से निकलें और अपनें लक्ष्य की और बढें। यदि आप असफल होतें हैं तो आपकी बात बस अपनें या चलों मैं भी मान लूँगां, लेकिन जिसे आपको कभी नियुक्त करना हैं वो ऐसी बहसों पे तनिक भी विचार नहीं करते। यदि आप उनकें सामनें इसका उल्लेख भी करतें हैं तो यकीं मानिएं वो तो आपको मूर्ख या फ़िर भावूक समझ बैठेंगें। आपकी एक पहचान हैं जिसे आप स्वयं बनाए रख सकतें हैं। कोई क्या कहता हैं उसे नाकार कर आप अपनें दिल की सुनें हो सकता हो वो गलत हो लेकिन वो भी आपकों एक परिणाम दे के जाऐंगा ना कि कोई अवहेलना। और आप यकीं मानिएं यदि आप सफ़ल हैं तो सब आपको पूछेंगें पूँजेंगें और जो कहेंगें उसे मानेंगें भी यानी एक तरह से आप एक राजा होंगें।

..कहानियाँ तो सबकी कुछ Amazing ही होती हैं..
..लेकिन सुनती ये दुनियाँ सिर्फ़ उनकी ही हैं..
..जो कामयाब होतें हैं..!

..नितेश वर्मा..


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