Nitesh Verma Poetry
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Friday, 6 June 2014
..मैनें चेहरों में हिन्दुस्तान को देखा हैं..
..चढते-उतरतें हर मकाम को देखा हैं..
..मैनें चेहरों में हिन्दुस्तान को देखा हैं..
..सब सँभाल के करते हैं अपनी जुबां खाली..
..रात के चोरों को मैंनें सुबह नमाज़ पढतें देखा हैं..!
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