आज जो हमारे दिल पर हक़ जतानेवाला है
कल वो शख़्स फिर बहुत याद आनेवाला है।
किसी नदी किनारे से कभी गुजरा था मैं भी
के हरेक कश्ती कहाँ उस पार जानेवाला है।
अब वो ख़्वाहिश भी ऐसी थी कि मैं क़ैद था
अग़र रिहा होता तो कहते के मरनेवाला है।
यूं कल फिर उसके याद में शाम गुजारी थी
आज फिर वो ख़्वाबों में मुझे सतानेवाला है।
मेरे हाथ में कोई ख़त बेशक़ कभी नहीं था
ख़ंज़र है पास माँगो ये दिल भी देनेवाला है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
कल वो शख़्स फिर बहुत याद आनेवाला है।
किसी नदी किनारे से कभी गुजरा था मैं भी
के हरेक कश्ती कहाँ उस पार जानेवाला है।
अब वो ख़्वाहिश भी ऐसी थी कि मैं क़ैद था
अग़र रिहा होता तो कहते के मरनेवाला है।
यूं कल फिर उसके याद में शाम गुजारी थी
आज फिर वो ख़्वाबों में मुझे सतानेवाला है।
मेरे हाथ में कोई ख़त बेशक़ कभी नहीं था
ख़ंज़र है पास माँगो ये दिल भी देनेवाला है।
नितेश वर्मा
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