Sunday, 14 August 2016

एक ख़्वाहिश, एक नाम

एक ख़्वाहिश, एक नाम
चाय की चुस्की और एक शाम
रेडियो पे गूंजते पंचम के धुन
तेरी तस्वीर, कोहरे और धुंध
बस के पीछे विंडो की सीट
हाथों में उलझीं वही इयरफ़ोन
अकेले फिर वो लम्बी मक़ाम
तुम.. तुम.. और तुम्हारी जाम
एक ख़्वाहिश, एक नाम
चाय की चुस्की और एक शाम

नितेश वर्मा

‪#‎Niteshvermapoetry‬

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