यूं थोड़े से उधारी में जीते हैं लोग
कभी-कभार ही तो पीते हैं लोग।
अब ग़रीबी ना सताएँ तो क्या हो
कहाँ ग़मे-हिज़्र में मरते हैं लोग।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
कभी-कभार ही तो पीते हैं लोग।
अब ग़रीबी ना सताएँ तो क्या हो
कहाँ ग़मे-हिज़्र में मरते हैं लोग।
नितेश वर्मा
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