सआदत हसन मंटो की कहानियाँ जितनी ख़बरों में रही, उतना उनका कोई क़िस्सा नहीं रहा। मंटो ख़ुदको कहानियों से घेरे रखते थे, दरअसल मंटो कहानियों में ज़िंदा रहते थे। एक बार का एक वाक़्या याद आ रहा है - उस रात, मंटो देर रात तक एक कांफ़्रेस में उलझे रहे थे। लोगों के बहसों के बीच रहकर उन्होंने कुछ अपनी बात रखी और कुछ उनकी भी सुनी-समझी। यह बात हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के विभाजन के कुछ समय के बाद की थी, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के लोग मंटो को अपना हिस्सा मानते थे, मग़र उस रात के बातचीत के बाद लोगों ने मंटो में अपनी दिलचस्पी कम कर दी। फिर एक सुबह मंटो जब घर से निकले तो एक समाचार- पत्र वाले ने उनसे मुख़ातिब होकर पूछा - ज़नाब, आज से कुछ महीनों पहले आपने जो मुद्दा उठाया था, उसे लेकर जो बहस हुआ था, उसके परिणाम की बात और फलाना-फलाना।
मंटो पहले से उलझे हुए थे उन्होंने मज़ाकिये होते हुए उस रिपोर्टर से पूछा - ज़नाब! कल रात आपने कौन सी ब्रांड पी थी?
रिपोर्टर हैंरत में आकर पूछता है - मतलब, क्या है ज़नाब आपका? मैं आपको ऐसा दिखता हूँ।
फिर मंटो बड़े आराम से उसे समझाते है - ज़नाब! मैंने कल रात देशी पी थी और वो भी पव्वा भर जो अबतक उतर चुकी है, अब आप मुझसे कोई भी फ़िज़ूल बात नहीं उगलवा सकते, अग़र कुछ मसालेदार ख़बर चाहिए तो दिन ढ़लने के बाद एक अध्धा और कुछ क़बाब लेकर मेरे दौलतख़ाने पर आइये।
[मंटो शराब अक्सर जानी वॅाकर की पीया करते थे, मग़र ख़राब हालात से मज़बूर होकर वो बाद में देशी दारु भी पीने लगे थे।]
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
मंटो पहले से उलझे हुए थे उन्होंने मज़ाकिये होते हुए उस रिपोर्टर से पूछा - ज़नाब! कल रात आपने कौन सी ब्रांड पी थी?
रिपोर्टर हैंरत में आकर पूछता है - मतलब, क्या है ज़नाब आपका? मैं आपको ऐसा दिखता हूँ।
फिर मंटो बड़े आराम से उसे समझाते है - ज़नाब! मैंने कल रात देशी पी थी और वो भी पव्वा भर जो अबतक उतर चुकी है, अब आप मुझसे कोई भी फ़िज़ूल बात नहीं उगलवा सकते, अग़र कुछ मसालेदार ख़बर चाहिए तो दिन ढ़लने के बाद एक अध्धा और कुछ क़बाब लेकर मेरे दौलतख़ाने पर आइये।
[मंटो शराब अक्सर जानी वॅाकर की पीया करते थे, मग़र ख़राब हालात से मज़बूर होकर वो बाद में देशी दारु भी पीने लगे थे।]
नितेश वर्मा
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