Sunday, 14 August 2016

क़िस्सा मुख़्तसर: भगवान श्रीकृष्ण की लीला

श्रीकृष्ण बाल्यावस्था की बात है- जब भगवान श्रीकृष्ण के शरारतों से यशोदा मैया परेशान हो उठती तो उन्हें रस्सी से लपेटकर आँगन के एक कोने में बाँध देती। एक दिन ऐसे ही उनके किसी शरारत से तंग आकर यशोदा मैया ने उन्हें आँगन में बाँध बिठाया था, लेकिन उस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कोई विरोध नहीं किया और चुपचाप कोने में सर झुकाएँ बैठे रहे..ना ही कुछ बोला और ना ही कोई ज़िद या रोना-धोना किया। यशोदा मैया भगवान के इस रूप को देखकर बार-बार व्याकुल हो उठती मग़र उस दिन तो भगवान श्रीकृष्ण लीला करने को बैठ गए थे। यशोदा मैया को अक्सर ये ड़र सताया करता था कि कन्हैया के जन्म के बाद से ही कितने राक्षसों ने उनके लाल पर हमला किया और उनसे उनको अलग करना चाहा.. इसलिए वो जब भी कान्हा को थोड़ा सा भी बदलते देखती वो ड़र जाती।
अब कन्हैया को वो वैसे हालत में नहीं देख पा रही थी.. उन्होंने माखन को एक तरफ़ किया और भगवान श्रीकृष्ण की ओर चली गई। जब उन्होंने आकर रस्सी खोला तो भगवान उन्हें देखकर अपना मुँह दूसरी तरफ़ करके गुस्से में बैठ गए.. यशोदा मैया ने अपने लाल के मुख को अपने हाथों में लेते हुए उनसे पूछा- क्या हुआ कान्हा?
इसपर भगवान श्रीकृष्ण बोल पड़े- मैया! बलराम दाऊ सब ग्वाल-बालों के सामने मुझे कहते हैं कि मैं आपका और बाबा का पुत्र नहीं हूँ। केवल वे आप दोनों के पुत्र हैं इसलिए उनका वर्ण गौर है बिलकुल आपके और बाबा की तरह..और मैं तो श्याम वर्ण का हूँ। और वो तो यह भी कहते है कि आपने मुझे मोल लिया है और मैया जब वो यह बात सारे ग्वाल-बालों के सामने करते हैं तो वो चुटकी बजाकर मेरा उपहास उड़ाते हैं। मुझे नचाते हैं और मुस्कुराते हैं। इस पर भी तू मुझे ही मारने को दौड़ती है मुझे ही रस्सियों से बाँध देती है दाऊ को तू कभी कुछ नहीं कहती। अब तो मुझे भी लगता है कि तू मेरी मैया नहीं है।
भगवान श्रीकृष्ण की इस बात पर यशोदा मैया रीझ जाती है फिर वो भगवान श्रीकृष्ण को समझाकर कहती है - तेरे बलराम दाऊ तो बचपन से ही बड़े चुगलखोर और धूर्त है, कान्हा तू उनकी बातें पर यक़ीन क्यूं करता है, मैं ही तेरी मैया हूँ।
जब भगवान इस सब पर भी नहीं माने तो यशोदा मैया ने सारी गायों की सौगंध खाईं और कहा- कान्हा अब तो मान लें कि मैं ही तेरी मैया हूँ और रूठना छोड़ दे।
भगवान श्रीकृष्ण यशोदा मैया की इस व्याकुलता और अधीरता को देखकर मान लेते है कि वो ही उनकी मैया है और फिर अपनी मैया से माखन की ज़िद करने लगते है।
यशोदा मैया भगवान श्रीकृष्ण के इस लीला पर भाव-विभोर हो जाती है। आकाशमार्ग से देवता भगवान के इस लीला को देखकर पुष्प वर्षा करते हैं, समस्त संसार इस सौंदर्य से प्रकाशमान हो जाता है।

नितेश वर्मा
‪#‎Niteshvermapoetry‬

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