Sunday, 14 August 2016

यहाँ तक की कविताओं के

यहाँ तक की कविताओं के
भी अर्थ होते हैं
ये मनगढ़न्त कहानियाँ भी
मानी लेकर बैठी होती हैं
यूं सवालों में भी कई
उद्देश्य उलझे से होते हैं
इस दुनिया में
अर्थहीन और निरर्थक
कुछ भी नहीं..
ये मेरी ज़िन्दगी भी नहीं
मैं आत्महत्या नहीं करूँगा
कमसेकम इस हार के
लिए तो कभी नहीं
क्योंकि इसमें भी कई
अर्थ उलझे हुए हैं
और जब-तक इन्हें
मैं समझ ना लूं
मैं लौटकर नहीं जाऊंगा
इस अर्थहीन हार के साथ
तो कभी नहीं..
मैं आत्महत्या नहीं करूँगा
क्योंकि ये ज़िन्दगी मेरी
अर्थहीन नहीं।

नितेश वर्मा

‪#‎Niteshvermapoetry‬

No comments:

Post a Comment