रूठा ही क्यूं रह गया वो मुझसे
क्यूं कुछ ना कह गया वो मुझसे
वो है गुमसुम तो जी मचलता है
क्यूं इतना दूर है गया वो मुझसे
वो ख़्वाहिश था वो ख़्वाब भी है
वो प्यास भी था वो सराब भी है
वो समुंदर था वो एहसास भी है
वो ज़िस्म मेरा.. वो नक़ाब भी है
वो हरकतों का मुझमें सैलाब था
बारिशों से बनता एक तालाब था
वो मेरे शामों का भी दस्तक था
लगा नहीं कभी के वो ख़राब था
हँसीं हरपल उसका मिज़ाज था
शाइरों के दिल का वो दराज़ था
वो सुबह का कोई ओस भी था
मेरे मर्ज़ का वोही इक इलाज़ था
फिर आख़िर वो क्यूं चला गया
ऐसे अचानक वो क्यूं रुला गया
क्या जाना ही था उसको दूर यूं
या बेवज़ह था मुझे बहला गया
रूठा ही क्यूं रह गया वो मुझसे
क्यूं कुछ ना कह गया वो मुझसे
वो है गुमसुम तो जी मचलता है
क्यूं इतना दूर है गया वो मुझसे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
क्यूं कुछ ना कह गया वो मुझसे
वो है गुमसुम तो जी मचलता है
क्यूं इतना दूर है गया वो मुझसे
वो ख़्वाहिश था वो ख़्वाब भी है
वो प्यास भी था वो सराब भी है
वो समुंदर था वो एहसास भी है
वो ज़िस्म मेरा.. वो नक़ाब भी है
वो हरकतों का मुझमें सैलाब था
बारिशों से बनता एक तालाब था
वो मेरे शामों का भी दस्तक था
लगा नहीं कभी के वो ख़राब था
हँसीं हरपल उसका मिज़ाज था
शाइरों के दिल का वो दराज़ था
वो सुबह का कोई ओस भी था
मेरे मर्ज़ का वोही इक इलाज़ था
फिर आख़िर वो क्यूं चला गया
ऐसे अचानक वो क्यूं रुला गया
क्या जाना ही था उसको दूर यूं
या बेवज़ह था मुझे बहला गया
रूठा ही क्यूं रह गया वो मुझसे
क्यूं कुछ ना कह गया वो मुझसे
वो है गुमसुम तो जी मचलता है
क्यूं इतना दूर है गया वो मुझसे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
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