चाहता हूँ मैं भी इक किताब हो जाऊँ
चाहें तुम पढों जितना मैं बेहिसाब हो जाऊँ
तुम्हारें हाथों में बस मिरा ही हाथ हो
ख़ातिर तुम्हारें मैं इक ख़िताब हो जाऊँ
लब से लब अब बस लगे ही रहे
इस प्यार में मैं इक-ज़िस्म हो जाऊँ
सवारं लो तुम अपनें चेहरें को मेरे यहां
इस धूप में मैं तुम्हारा ज़ुल्फ़ हो जाऊँ
हवाएं चलती भी है तो यादें सताती है
चाहता हूँ तेरी तस्वीर का श्याम हो जाऊँ
नितेश वर्मा
चाहें तुम पढों जितना मैं बेहिसाब हो जाऊँ
तुम्हारें हाथों में बस मिरा ही हाथ हो
ख़ातिर तुम्हारें मैं इक ख़िताब हो जाऊँ
लब से लब अब बस लगे ही रहे
इस प्यार में मैं इक-ज़िस्म हो जाऊँ
सवारं लो तुम अपनें चेहरें को मेरे यहां
इस धूप में मैं तुम्हारा ज़ुल्फ़ हो जाऊँ
हवाएं चलती भी है तो यादें सताती है
चाहता हूँ तेरी तस्वीर का श्याम हो जाऊँ
नितेश वर्मा
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