मुझे अब किस बात का इंतजार था
कहूँ जो मैं तेरे साथ का इंतजार था
तुम तो हसरतों में भी थीं गुमशुदा
मुझे तो बस दीदार का इंतजार था
गुनाहों की बात प्यार में ही क्यूं की
था कातिल मैं जुल्म का इंतजार था
आग लगे तो इस जमानें की आँख को
क्या इसे मेरी ही मौत का इंतजार था
तुमने भूलाया जो मैं घर से बेघर हुआ
शायद कही इसे तेरे ना का इंतजार था
हर हर्फ एहसान-फरामोश निकल गयी
कहाँ उसे कभी उस रात का इंतजार था
नितेश वर्मा
कहूँ जो मैं तेरे साथ का इंतजार था
तुम तो हसरतों में भी थीं गुमशुदा
मुझे तो बस दीदार का इंतजार था
गुनाहों की बात प्यार में ही क्यूं की
था कातिल मैं जुल्म का इंतजार था
आग लगे तो इस जमानें की आँख को
क्या इसे मेरी ही मौत का इंतजार था
तुमने भूलाया जो मैं घर से बेघर हुआ
शायद कही इसे तेरे ना का इंतजार था
हर हर्फ एहसान-फरामोश निकल गयी
कहाँ उसे कभी उस रात का इंतजार था
नितेश वर्मा
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