Thursday, 28 August 2014

कर गए [Kar Gaye]

वो आँखों से अपनें इक इशारा कर गए
मुझे अवारा समझ वो किनारा कर गए

चेहरें पर लिये गुलाब अभ्भी वो बैठे है
इक इंतजार को है और बेसहारा कर गए

सीनें में राज़ ही राज़ दबाएँ रक्खें है
सीनें से जो लगाया तो नाकारा कर गए

इक उमर से बची कैसी ये चाह थीं
उनकी वो नज़र उठी और शायराना कर गए

सारें हम-उम्र मेरें कहाँ तक पहोच गए
उठाया सबने आँख और हम हर्जाना कर गए

नितेश वर्मा


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