Friday, 1 August 2014

Nitesh Verma Poetry

जुदा हुएं हैं लोग बहोत एक तुम भी सही
अब इत्ती-सी बात पे क्या ज़िन्दगी हराम करें

मिलता तो ना कोई दफनाता किसी कोनें मुझे
अब इत्ती-सी बात पे क्या खानदानी आग करें

नितेश वर्मा

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