Tuesday, 5 August 2014

..ठहर जाता है.. [Thahar Jata Hai]

..इक उम्र पर आकर ठहर जाता है..
..ज़िंदगी मौत पर आकर ठहर जाता है..

..मनातें रह जाते है सब वक्त लगाकर..
..भगवान भक्त पर आकर ठहर जाता है..

..सूरज़ की गर्मी बढ जाती है बहोत..
..बादल बारिशों पर आकर ठहर जाता है..

..कोई भी चेहरा अब नही रहता याद..
..मोहब्बत शादी पर आकर ठहर जाता है..

..कानूनी वादें मौसमी बन रह जाते है..
..सियासती कौम पर आकर ठहर जाता है..

..ग़ज़लें ये बहोत पुरानी हो चली वर्मा..
..झूठ सच पर आकर ठहर जाता है..

..नितेश वर्मा..

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