Tuesday, 19 August 2014

Nitesh Verma poetry

..हम खामोशियों को यूं बुनते चले आएं..
..इश्क में जैसे सब चेहरें ढूँढतें चले आएं..

..ऐसा हो वो तलाशता मुझे यहां चले आएं..
..मैं नज़रों में रखूं उसे वो बेलिबास चले आएं..

नितेश वर्मा

..बदल जो जाएं हम बुरा ना समझना तुम..
..दिल में उतर जाएं बुरा ना समझना तुम..

..कोई कहता रहता था हमे अज़नबी..
..बातों को उनके बुरा ना समझना तुम..

..नितेश वर्मा..

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