इक उमर तक इक उमर का ख्वाब लाया
मैं नासमझ रहूँ तेरे-संग ये जज्बात लाया
मिल के होती खतम ग़र ये अधूरी ख्वाहिशें
करता वो जो मैं समुन्दर से आसमान लाया
बहकी-बहकी सी ही हैं ये ज़ुल्फें शबनमीं
बेसबर हूँ बाँध लो निकाल जो दिल लाया
अब तो तुम्हारी रक्खी तस्वीरें भी सताती है
बदल जाएं बात मैं शराब-ए-हाल उठा लाया
अभ्भी लबों की मुस्कान सब कह जाती है
मैं बेवजह गुलिस्तानों का किताब खरीद लाया
अब तो ना होगी कोई मरहम-ए-नुक्स वर्मा
समझाया जो उसने रात मैं चाँद उठा लाया
नितेश वर्मा
मैं नासमझ रहूँ तेरे-संग ये जज्बात लाया
मिल के होती खतम ग़र ये अधूरी ख्वाहिशें
करता वो जो मैं समुन्दर से आसमान लाया
बहकी-बहकी सी ही हैं ये ज़ुल्फें शबनमीं
बेसबर हूँ बाँध लो निकाल जो दिल लाया
अब तो तुम्हारी रक्खी तस्वीरें भी सताती है
बदल जाएं बात मैं शराब-ए-हाल उठा लाया
अभ्भी लबों की मुस्कान सब कह जाती है
मैं बेवजह गुलिस्तानों का किताब खरीद लाया
अब तो ना होगी कोई मरहम-ए-नुक्स वर्मा
समझाया जो उसने रात मैं चाँद उठा लाया
नितेश वर्मा
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