Tuesday, 31 December 2013

..नरेन्द्र मोदी..

..कोइ मोदी कहता हैं कोइ नमो का रूप समझता हैं..
..ये दिल की बात हैं ये धडकन समझता हैं..
..हर घर की उम्मीद में जो जलता हैं..
..वो दीया नरेन्द्र..
..मोदी के नाम से सबके दिलों में बसता हैं..
..लोगों के चेहरें की खुशी में दिखता हैं..
..और जो सबके सपनों में सजता हैं..
..जीत के इरादों में बसता हैं..
..जो लहरों से साहिल में मिलता हैं..
..दिल-दिल पे राज..
..और ज़ुबाँ पे जो नमो:-नमो: से बसता हैं..
..नरेन्द्र मोदी मेरे दिल में आज़ भी वहीं जगह रखता हैं..!


..तुम हो शायद तो कुछ राहत हैं..

..तुम हो शायद तो कुछ राहत हैं..
..तुम हो शायद तो कुछ कम मेरी आफत हैं..
..तुम हो तो मैं जुडा इस शहर से हूँ..
..तुम हो तो जी रहा मैं हूँ..
..तुम हो तो सब हैं शमां हैं ये जहां हैं..
..कुछ हालातें हैं कुछ रातें हैं कुछ सँवारें मेरे तरानें हैं..
..बिन तुम्हारें तो हम भी गँवारें हैं..
..बेमतलब बेजुबाँ बेकसक सी हैं ये बातें सारी..
..तुम हो तो शायद ये हैं मेरे..
..तेरे ही खातिर ये लिख्खें मैंनें सारें हैं..!

..ना जाने कैसे..


..क्या हैं क्यूँ हैं और ना जाने कैसे..
..ये ज़िन्दगी हैं मेरी बे-परवाह इतनी ना जाने कैसे..
..टूट रहा हैं कुछ सीने में मेरे दिल जैसा..
..ना जाने ये आवाज कैसी हैं..
..या फिर से उठी ये मेरे मन की बे-आवाज़ ऐसी ही हैं..
..शायद कोई सँवारे इसे..
..रोता हुआ देख कोई पुकारे इसे..
..हादसे ज़िन्दगी की मेरी कभी मंजिल की और भी चले..
..भटकतें पैरों को मेरे चादर तो मिले कभी..
..क्या हैं क्यूँ हैं और ना जाने कैसे..
..ये ज़िन्दगी में हैं गम मेरे इतने ना जाने कैसे!

Sunday, 29 December 2013

..कुछ बातें..

..कुछ बातें कुछ हालातें कुछ मजबूरियाँ..
..बस ये कुछ चीजें ही काफी होते है..
..इंसान को पूरी और गहरी तरह से तोडने में..!


..बस करों..

..बस करों अपने सीने में ही दबाएं रख्खों..
..अपनी बातें फरेबी सारी..
..सुनूँगा तो फिर तडप जाउंगा..!


..कैसी हो चली हैं मेरी ज़िन्दगी..

..कैसी हो चली हैं मेरी ज़िन्दगी..
..सिर्फ यादों में ही गुज़रती जा रहीं हैं..!

..तुम्हें भूल खुद में उलझ जाते हैं..

..खुद के बिताएँ अपने ही पल याद आ जाते है..
..पता ना दिन कैसा चल रहा हैं..
..तुम्हें भूल खुद में उलझ जाते हैं..!


.. अल्फाज़-ए-मुहब्बत..

..बयां क्या करू..
..अपनी अल्फाज़-ए-मुहब्बत आशिकी का..
..तेरे तस्वीर के सामने..
..मेरी कुछ चलती भी तो नहीं..!


..तुम कहते थे ना..

..तुम कहते थे ना..
..जितना ज़िक्र करोगे..
..मेरी यादों का..
..मेरी बातों का..
..मेरे साथ बिताएँ हंसी जिन्दगानी का..
..उतना ही दर्द.. आहें.. एहसान.. फरेबी प्यार..
..इस जहां से तुझे..
..मेरे नाम के मिला करेंगे..
..तुम्हारी कहीं हर बात मुझे सच्ची लगती हैं..
..काश! तेरा किया वादा भी मुझसे सच्चा होता..!


..इक साँस पूरी नहीं हो रहीं..

..कैसे गुजार लेंगे..
..वो बिन मेरे..
..ये उबन भरी तमाम ज़िन्दगी..
..बिन उनके मेरी इक साँस पूरी नहीं हो रहीं..!


..सिवाएँ मेरे इस सपने के..

..वो बेचैन तडपती रातों के बीच..
..तूफानी बारिशों के दरमियाँ..
..तेरे कदमों की होने की आहट..
..मुझमें मिलने की चाहत..
..सारी बातें ये पुरानी हो चली है..
..सिवाएँ मेरे इस सपने के..!


..आहिस्ता-आहिस्ता..



..आहिस्ता-आहिस्ता चलने की आदत हो गई हैं..
..जबसे तुमने मुझे उस मुकाम से गिराया हैं..!

..मैं अकेला..

..मैं अकेला ही चला था..
..ना जाने किस मकसद से किस इरादें से..
..देश को सुधारनें को राजनीतिक दुराचारों को मिटानें को..
..या खुद को लोगों के दर्दों में समानें को..
..जनता के गम को देख कहीं रूक जाने को..
..सारी हालातें मेरे खिलाफ थी..
..अपनों के नाम पे बस कुछ चंद हाथ साथ थे मेरे..
..विरोधी मेरे सारे लिए साथ अपने एक कायनात खडी थी..
..मेरा साहस का साथ होना..
..या आपकी दुआओं में मेरा नाम का होना..
..फिर अचानक से इक रात..


..मेरे नाम का होना मेरी पहचान को होना..
..मुझसे लोगों का जुड जाना उनकें दुख-दर्द का मेरा हो जाना..
..मेरी बातों में उनका ज़िक्र हो जाना..
..लोगों के नाम मेरे ज़िन्दगी का कर देना..
..मेरे इरादों में इक ढ्रढ संकल्प का हो जाना..
..जनता के लिए खुद को कहीं झोंक देना..
..फिर से देश को सबेरा कर देना..
..काली-रातों को हटा..
..फिर से सबकी ज़िन्दगी में उजाला भर देना..
..ऐसी ही कुछ इरादों को ले चला था मैं..
..कदम से कदम आप मिलातें रहें..
..और मैं करीब आपके होता रहा..!

.. आम आदमी..

..मैं हारुँ..
..जमानें में वो बात कहां..
..और मैं जमानें से जीतूँ..
..तो वो जीत किस बात..
..मैं इक आम आदमी हूँ..
..गर जीतूँ जमाने से तो जश्न किस बात..
..मेरे जश्न में ना हो कोइ सरीक..
..तो मेरी जीत किस बात..
..आम हूँ अकेला हूँ..
..मगर दिल से हूँ मैं निडर..
..गर मन में हो मेरे संकल्प..
..तो डर किस बात..
..बात-बात पे ज़िक्र हो मेरा..
..तो मैं आम किस बात..
..मेरी बातों में हो गर बात..
..जो दिल पे करे सबके राज..
..वो जीत मेरे बात वो जश्न मेरे रात..
..मेरा हाथ हो सबके हाथ के साथ..
..तो ये बात हो सबको रास..
..आम आदमी की आम बात..
..नारे-नारे में हो एक नाम हम सारें एक समान..
..आम आदमी आम बात..
..सबका हित सबका नाम..!

Sunday, 8 December 2013

..ज़िन्दगी की कहानी हैं अभी लम्बी ज़रा..!

..दिल तु रूक ज़ा ज़रा..
..साया हूँ बन के मैं पिछे तेरे खडा..
..दिल तु हो जा मेरा..
..ज़िन्दगी की कहानी हैं अभी लम्बी ज़रा..
..दिल तु चुप हो तो ज़रा..
..बारिश बूंदों की भरी हैं यहां..
..जिस बात पे तु खुश हैं रहा..
..अक्सर वो बातें हैं चुभती यहां ज़रा..
..जिस धुन पे तु गाता रहा..
..दिल के कोने में टूटती हैं जा रही वो सदा..
..क्या हैं ये माज़रा..
..खुद को अब क्यूं समझा पाऊँ ना..
..दर्द का हैं सिलसिला रातों का हैं ये कुहां..
..मकसद मेरा क्यूं रुक गया हैं यहां..
..जानू ना मै समझूं ना..
..बात दिल की भी अब समेट पाऊँ ना..
..क्या ये हाल हैं बेदर्द सा बात हैं..
..दिल की बात अब दिल से भी कर पाऊँ ना..
..गिर गया हूँ खुद की नज़रों में..
..रिश्वत दे के भी अब उठ पाऊँ ना..
..अए खुदा तु ही कोइ मंजिल दिखवा दे..
..गम को तु मेरे कहीं सुनवा दे..
..इसे तु खुद से कहीं मिलवा दे..
..दिल को फिर से तु मेरा करवा दे..
..दिल में फिर तु उसे बसवा दे..
..कर दे करम कुछ ऐसा वो हो जाए मेरा..
..बदले में तु ले जा चाहें जा मेरा..
..मगर तु फिर से दिल को करवा दे मेरा..
..दिल तु सुन ले ज़रा..
..क्या हकीकत दिल में हैं बसा मेरा..
..दिल तु रूक ज़ा ज़रा..
..साया हूँ बन के मैं पिछे तेरे खडा..
..दिल तु हो जा मेरा..


..ज़िन्दगी की कहानी हैं अभी लम्बी ज़रा..!

Saturday, 7 December 2013

..वो बताऐंगे कभी मुझे तो मैं बताउँगा कभी तुम्हें..!

..मेरी सारी बातें जो मैनें लिख्खे थे..
..तुम्हें बताने को सुनाने को दिखाने को..
..आज़ वो बिखरतें जा रहे है..
..उल्झते जा रहे है..
..जैसे सावन के बीच काली घटाओ का होना..
..आँधियों के बीच पत्तियों का रोना..
..सारी समेटी थी ज़िन्दगानी जो मैनें खातिर तुम्हारें..
..पता ना क्यों?


..आज़ वो पुरानी-धूमिल सी होती जा रही है..
..आखिर हुई मुझसे ऐसी क्या खता..
..जो मेरी उडती जा रहीं हैं ख्वाबों की आशियाँ..
..हैं कोइ बात ऐसी ही..
..जो मेरी हालातों की तरह होंगी..
..जिसे सुन वो सब अपनी राहें मुड गए होंगे..
..मेरी खताएँ मेरी हालातें मेरी सारी परेशानियाँ..
..मेरे ही हिस्सें की सारी बातें हैं..
..दूसरी तरफ से तो मेरे लिए कोइ ज़िक्र ही ना था..
..शायद वो सुनना ना चाहते हो..
..समझना ना चाहते हो..
..मेरी बातों मेरी हालातों को..
..या फिर हो शायद कोई और बात..
..जो हो बडी मुझसे बहोत बडी..
..वो बताऐंगे कभी मुझे तो मैं बताउँगा कभी तुम्हें..!

Friday, 6 December 2013

..उससे कहने में ये डर लगता हैं मुझे..


..उससे कहने में ये डर लगता हैं मुझे..
..के उससे कई ज्यादा प्यार करता हूँ मैं..
..कहीं बातें तोड ना दे वो मेरी..
..कही इरादें मेरे हैरां ना कर दे उसे..
..कहीं ठुकरा ना दे वो मुहब्बत मेरी..
..ऐसी कुछ और बातें..
..जो नींदों में भी तोडती हो दिल मेरा..
..सोच के यहीं डर लगता हैं मुझे..
..कहीं उसे इन्कार ना हो मेरी बातों से..
..ख्वाबों में हुए उसके मुलाकातों से..
..अपने दिल में उसकी तस्वीर बसाने से..
..अपने मन को उसके रंग रंगने से..
..डूबा हुआ रमा हुआ..
..उसकी कहीं हर इक बातों पे..
..परेशां हूँ मैं कहीं ये जान के..
..वो मेरा दिल ना तोड दे..
..मेरा साथ ना छोड दे..
..अपनी दी हुइ बातें यादें वादें ..
..कहीं हर इक वो बात..
..मुझसे कहीं इक पल में ना अलग कर दे..
..चुप रहता हूँ डरा रहता हूँ..
..सहमा-सहमा सा रहता हूँ..
..इसी किसी बातों पे..
..हमसफर बननें के मैं काबिल नहीं..
..कहीं ये बात हाथ जोड के हबीब ने मेरे..
..वो किस्मत में नहीं प्यार के तेरे..
..चल सही उसे अपना दोस्त ही बना रहने दे..!

Monday, 2 December 2013

..तु है जो मिला..


..तु है जो मिला..
..रहा मुझे ज़िन्दगी से ना अब कोइ गीला..
..तु है ज़ो मुझमें बसा..
..रहे भले साँसें अब खुद मुझसे ज़ुदा..
..तु है जो मेरा..
..अब कौन करे कोइ रब से और दुआ..
..मेरी ज़िन्दगी में अब तु हैं..
..मेरी होंठों पे इक बसी नाम तु हैं..
..मेरी रातें मेरी शामें मेरी धडकनों में तु हैं..
..ओ साज़ना मुझमें अब कुछ तु हैं..
..तुझमें अब जीना चाहूँ..
..तुझमें ही रहना चाहूँ..
..तुझसे ही जुड के मैं अब जीना चाहूँ..
..मेरा हैं तु कुछ हिस्सा..
..लफ्ज़ों से बना मेरा-तेरा ये खिस्सा..
..तु हैं जो अब शबनमीं शामं हैं..
..इक भींगीं सी एहसास हैं..
..हाथें हैं रेंत में दबी..
..दिल में दबा इक तेरा नाम हैं..!

Thursday, 28 November 2013

..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..


..अक्सर हर बात कुछ पूरी सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र तेरा लबों पे आते-आते कुछ रात सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र हैं क्या तेरा..
..मेरे जी का हैं धडकना..
..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..!

..हो कोइ बारिश यहां..


..दर्द ए दिल की बात कोइ बता दे इसे यहां..
..हैं जो दिल की बात कोइ ज़रा सुनवा दे इसे यहां..
..हो कोइ बारिश यहां..
..जो मुझे खुद में भींगा दे पूरी तरह..
..हो कोइ शक्स यहां जो मेरा हो पूरी तरह..
..रातों में मैं क्यूं खुद जागूं अभी..
..सपनों में ही खोया रहूं क्यूं हरपल मैं अभी..
..परेशां हैं क्यूं खुद ये बातें मेरी..
..बता दे तु कभी इसे तु होगी कभी मेरी..
..सुनवा दे होंठों पे इसे बसे नामें मेरी..

..हैं ये तेरे इश्क में डूबा किनारा करा दे इसे..
...दर्द ए दिल की बात होंठों से सुना दे इसे..
..बाहों में बाहें डाल सीने से लग जा मेरे..
..दर्द ए दिल की बात कोइ बता दे इसे यहां..
..हैं जो दिल की बात कोइ ज़रा सुनवा दे इसे यहां..
..हो कोइ बारिश यहां..
..जो मुझे खुद में भींगा दे पूरी तरह..!

Friday, 22 November 2013

..तस्वीरें बदलती ज़िन्दगी की..

..बदलती ज़िन्दगी बदलते वक्त के साथ..
..ख्वाबों का बदलना परिस्थितियों का बदलना..
..तेरा मेरे खातिर बदलना..
..सारी बदलाव इक बदलते वक्त के साथ..
..और बदलते वक्त मेरे साथ..
..मेरे खुशियों में होना मेरे दर्द में रोना..
..वो कहते हैं ना वक्त का मरहम होना..
..सावन का सरगम होना..
..टूटते तारों का मंगत होना..
..सारी अदाएँ सारी खताएँ सारी ज़िन्दगी मेरी ज़िन्दगानी होना..
..मुझसे जुडना मेरा होना मेरा होके जीना..
..इससे ज़्यादा और क्या बदलते वक्त में तेरा मेरे साथ होना..
..होंठों पे तेरे मेरे नाम का होना..
..आँखों में तेरी मेरे होने का ख्वाब संजोना..
..रातों में गुमनाम मेरे नाम का होना..
..ज़िन्दगी का होना..
..सारी फरेबी ज़ालों का एकदम से कुछ सच सा होना..
..बदलती ज़िन्दगी में तेरा मेरा होना..!

Monday, 28 October 2013

..इक ख्वाब अँधेरी-धुँधली सी..

..इक ख्वाब अँधेरी-धुँधली सी..
..लेकिन खुद से बेपरवाह बेखौफ मुझसे जुडी..
..लेकिन हाँ कुछ दूर हैं खडी..
..थोडा सा मै और थोडी रात हैं उसका हिस्सा..
..बदलती ज़िन्दगी की तस्वीरों में..
..थोडा वजूद हैं मेरा उसका किस्सा..


..तस्वीरों में ढल गए गुज़र गए बीत गए..
..वो सारें-बात..
..ज़िन्दगी की राह में..
..अब अकेला-तन्हा खडा-पडा हैं उसका खिस्सा..
..टूट गए सारें ख्वाब बिखर गए अरमां सारे..
..अन्धेरा के बाद यूँ जो अचानक सा हुआ सबेरा..
..इक सायां था..
..मेरा मुझसे कुछ जुडा सा..
..वो भी रात बाद अलग सा हो गया..
..जैसे कल सबेरा मैं था खडा अकेला..!

Wednesday, 23 October 2013

..इक बार फिर से..

..इक बार फिर से उठा डाली किसी ने..
..हकीकत को राज़नीति से मिला डाली किसी ने..
..दिल की एहसास को रंगें-सँवरते हाथ को..
..प्रशासन की आग में झोक डाली किसी ने..
..दिल की गहराइयों को..

..खुद में छुपे हुएँ परछाइयों को..
..गली-चौराहों में होती कारवाइयों को..
..अपनी ज़िन्दगानी से फिर ज़ोड डाली किसी ने..
..मुज़रीम के पैर कानून के हाथ..
..बदतमीज की ज़ुबान और सामाज़ की उँगली..
..को फिर से बेवज़ह दिखा डाली किसी ने..
..इक बार फिर से इक मशाल ज़ला डाली किसी ने..
..खुद के वज़ूद को..
..धीरे-धीरे सबके दिल में पहुँचा डाली किसी ने..
..इक बार फिर हक की बात सिखा डाली किसी ने..!

Sunday, 20 October 2013

..इक धुंधली सी रात..

Photo: ..गहरे सन्नाटें काली-कुहरें ठंडी भरी रात..
..यादों में संवरती ये धुंधली सी रात..
..जहाँ कोइ किसी का नहीं..
..यादों के सिवा यहाँ कोइ और किसी का नहीं..
..भींगी हल्की-हल्की बारिशों के बीच..
..चेहरे के उपर गिरते बारिशों की बूंद..
..गर्म ख्वाबों के बीच..
..तेरी घनी ज़ुल्फों के बीच..
..इक एहसास..
..आँखों से बूंदों के रूप में उतरते..
..मेरे सारें ख्वाब..
..काली-घनी कुहासे से भरी इक धुंधली सी रात..
..दिल की बात आँखों में भरे आँसू से कहे-बिन बयां..
..गर्म प्यालों के बीच..
..बनी तेरी खुबसूरत सी इक तस्वीर..
..ठंडी हवाओं के बीच..
..इक पिघलते एहसास का होना..
..घनी-काली रातों के बीच..
..बहती हवावों बारिशों के बीच..
..तेरा मुझमें होना तेरा मुझसे होना..
..सारी दिलकशी बातों का एहसास होना..
..रातों के बीच ख्वाबों से परे..
..तेरा मेरे एहसासों में होना..
..मेरा मेरे रूह से हैं होना..!

..गहरे सन्नाटें काली-कुहरें ठंडी भरी रात..
..यादों में संवरती ये धुंधली सी रात..
..जहाँ कोइ किसी का नहीं..
..यादों के सिवा यहाँ कोइ और किसी का नहीं..
..भींगी हल्की-हल्की बारिशों के बीच..
..चेहरे के उपर गिरते बारिशों की बूंद..
..गर्म ख्वाबों के बीच..
..तेरी घनी ज़ुल्फों के बीच..
..इक एहसास..
..आँखों से बूंदों के रूप में उतरते..
..मेरे सारें ख्वाब..
..काली-घनी कुहासे से भरी इक धुंधली सी रात..
..दिल की बात आँखों में भरे आँसू से कहे-बिन बयां..
..गर्म प्यालों के बीच..
..बनी तेरी खुबसूरत सी इक तस्वीर..
..ठंडी हवाओं के बीच..
..इक पिघलते एहसास का होना..
..घनी-काली रातों के बीच..
..बहती हवावों बारिशों के बीच..
..तेरा मुझमें होना तेरा मुझसे होना..
..सारी दिलकशी बातों का एहसास होना..
..रातों के बीच ख्वाबों से परे..
..तेरा मेरे एहसासों में होना..
..मेरा मेरे रूह से हैं होना..!

Friday, 18 October 2013

..दिल की बात..

..दिल तो कहना बहोत कुछ चाहता हैं..
..खिलाफ तेरे..

..मगर होंठों को मेरी..
..इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ होने की..
..बातें सारी तेरी..
..संगीन-ज़ुर्म भरी..
..चाहता हैं दिल मिटा दे इसे यादों से मेरी..
..मगर मेरे रूह को इज़ाज़त नहीं..
..तेरे खिलाफ जीने की..
..दिल चाहता हैं हटा दे..
..सारे रश्मों-रिवाज़ों को..
..सामाज़ की बातों को..
..कर दे किनारें अपने सारे अधूरे ख्वाबों को..
..छुडा के दामन फरेब से अपना..
..ज़ीने की इक नयी सी कुछ उम्मीद जगा दे..
..दिल चाहता हैं कुछ ऐसा हो जाए..
..जो बात पन्नों पे सज़ाऊँ..
..तो आँखों से गिरते बूँदे ना छुपाऊँ..
..दिल चाहता हैं कोइ बात भी बनाऊं..
..तो ज़माने के नज़र में आ ज़ाऊँ..
..दिल चाहता हैं लिख्खें ये सारें मेरे अल्फाज़..
..महबूब मेरे तुम होंठों से इक बार फिर दुहराओ..
..दिल चाहता हैं ये सारी दिल की बातें..
..तुम तक कैसे भी पहुँचाऊं..
..दिल कहना चाहता तो और कुछ बहोत हैं..
..मगर ज़ां ये तुमेह मैं कैसे समझाऊं..
..दिल की बात तेरे दिल तक कैसे पहुचाऊँ..!

Tuesday, 15 October 2013

..हर काली रात के बाद..


..इक धीमी सी दबी सी..
..लेकिन हाँ मगर जीनें सी..
..आवाज़ मुझे रातों के बीच..
..सडक किनारें से सुनाइ देती हैं..
..ठंडी कंपकंपाती बहती हवाओं के बीच..
..पत्तों से सर छुपाती..
..इक मासूम सी तस्वीर दिखाईं देती हैं..
..काली-घनी रातों के बीच..
..इक माँ की बेटी रोती दिखाईं देती हैं..
..सर छुपाने को ज़गह नहीं..
..दामन बारिशों के बीच..
..भींगती दिखाईं देती हैं..
..होंठों की परेशानियॉ आंखों से दिखाईं देती हैं..
..घनी काली-रातों के बीच भी..
..ना ज़ानें सब-कुछ कैसे साफ-साफ दिखाईं देती हैं..
..सारी परेशानियों के बीच..
..इक दरिंदे की तस्वीर साफ़ दिखाईं देती हैं..
..दाँतों के बीच फंसी होंठों से निकली ओहहह की आवाज़..
..गहरें सन्नाटें में कुछ चींख सी सुनाईं देती हैं..
..हालतें मज़बूर हाथें कमज़ोर..
..आँखों के बीच भरे समुन्दर से भंवर दिखाईं देती हैं..
..इस घनी-कुहरी-काली रातों के बीच..
..इक मासुम की निकली हाय साफ़-साफ़ सी सुनाईं देती हैं..
..पता ना बात ऐसी क्या हैं..?
..ज़ो सारी प्रशाशन, पुलिस, सत्ता के ठेकेदारों को ये रास आ रही हैं..
..कोइ होगी ज़रूर बात इसमें..
..आवाजें मेरी भी कुछ धीमी ही निकलती हैं..
..डर किस बात की हैं कुछ समझ में नहीं आती..
..और ना ही कभी कुछ दिखाईं देती हैं..
..लेकिन हर काली रात के बाद..
..इक मासूम की ज़ान जाती साफ़-साफ़ दिखाईं देती हैं..!

Sunday, 13 October 2013

..गहरी साज़िश नहीं..


..नींद आँखों में बंध नही रहीं..
..होंठ बस यूँ ही कुछ खामोश हैं..
..तस्वीर तेरी चेहरें की..
..आँखों से अब्ब उतरती नहीं..
..रातें भी कुछ बेज़ान सी है..
..मौत भी अब्ब आती नहीं..
..सवेरा का कुछ पता नहीं..
..होंठों से निकलती..
..मेरी ये सारी बातें कुछ अंज़ान सी हैं..
..हसरतें दिल की अब संभलती नहीं..
..सुनाने को हाल ए दिल कोइ अब्ब मिलता नहीं..
..बातें मेरी मुझे खुद अब समझाती नहीं..
..शिकवा गीला कोइ क्या होगा..
..ज़माने या तुमसे मुझे कभी..
..एतबार किया था तुमपे..
..कोइ ये मेरी गहरी साज़िश नहीं थी..!

Saturday, 12 October 2013

..माता रानी..

..माता रानी माता रानी अम्बे माँ..
..शेरावाली शेरावाली जगदम्बे माँ..
..मइयां तेरे हैं दर पे मैं आया..
..कबसे बनके खडा रहा मैं बेसहारा..
..मिला हैं ये मुझको..


..तेरे दर का अब तो सहारा ओ मइयां ...यां..
..मैं ना तो जानू ना कुछ भी अब मांगू..
..तेरे दर्शन को अब मैं नैंनों में संवारू..
..मइयां भक्ति को अल्फाज़ों को अब मैं कैसे इनपे उतारू..
..रुठी रातों तेरे चरणों में मैं जाउँ सोउ गहरी नींद..
..तेरे ही चरणों के सहारें अब मैं तो जिए जाउं ओ मइयां ...यां..
..आया तेरे हूँ दर पे मैं कबसे..
..सुनले मेरा तो कभी कुछ कहना..
..आंसू मिटाने के बहाने..
..दिल का दर्द मिटा जा कभी तो मइयां ...यां... ओ मइयां  ...यां..
..माता रानी माता रानी अम्बे माँ..
..शेरावाली शेरावाली जगदम्बे माँ..!

Friday, 11 October 2013

..इक बात हैं..

..इक बात हैं जो होंठों से उतर-कर पन्नों पे आती नहीं..
..इक राज़ हैं जो सीने से निकल-कर तुमेह समझाती नहीं..
..इक दरियां हैं..
..कुछ समन्दर सा मुझमें..
..जो मेरे होने का एहसास दिलाती नहीं..
..इक शब हैं..
..शमां हैं बीती कुछ रातें हैं..


..इक तन्हा ज़िन्दगी में मेरे बस यहीं कुछ खास हैं..
..वर्ना सब इक-दो लफ़्ज़ों के सहारें मनघडन बकवास हैं..
..इक रात हैं जो काली और भयानक हैं..
..इक साथ हैं जो थामें टूटी इक पतली लाठी हैं..
..इक रब हैं जो मेरी सुनता नहीं..
..इक मौत हैं जो मेरी आती नहीं..
..इक ये जो बेज़ान ज़िन्दगी हैं मेरी जो मेरी सुनती नहीं..
..ये इक कहानी हैं जो मेरी खत्म होती नहीं..
..इक रास्ता हैं जिसे मन्ज़िल कभी मिलती नहीं..
..इक कहावत हैं जो कभी सीने से मिटती नहीं..
..इक तूफान हैं जो थमता नहीं..
..इक आग हैं जो सीने की मेरी कभी बुझती नहीं..
..इक बात हैं जो होंठों से उतर-कर पन्नों पे आती नहीं..!

Wednesday, 9 October 2013

..तस्वीरों में मैंने..

Photo: ..यूं तस्वीरों में मैंने ढलती दुनियाँ को देखा हैं..
..आंखों के सहारें मैनें मोती को उतरते देखा हैं..
..यूं तो देखा हैं मैनें बहोत कुछ दुनियादारी में..
..पर क्या बताउँ आज़ जो देखा हैं मैनें तेरी आँखों में..
..इशारें को तेरे मैंने अपने ज़िन्दगी के सहारे में देखा हैं..
..देखा तो हैं बहोत कुछ..
..पर तेरी हाथों में जो अपना नाम देखा हैं..
..बस यहीं ज़िन्दगी में मैनें इक खुशनुमां एहसास देखा हैं..
..तेरे होठों पे छुपा बस इक नाम मेरा देखा हैं..
..इशक की फरमाइश में मैनें बस इक नाम तेरा देखा हैं..!

..यूं तस्वीरों में मैंने ढलती दुनियाँ को देखा हैं..
..आंखों के सहारें मैनें मोती को उतरते देखा हैं..
..यूं तो देखा हैं मैनें बहोत कुछ दुनियादारी में..
..पर क्या बताउँ आज़ जो देखा हैं मैनें तेरी आँखों में..
..इशारें को तेरे मैंने अपने ज़िन्दगी के सहारे में देखा हैं..
..देखा तो हैं बहोत कुछ..
..पर तेरी हाथों में जो अपना नाम देखा हैं..
..बस यहीं ज़िन्दगी में मैनें इक खुशनुमां एहसास देखा हैं..
..तेरे होठों पे छुपा बस इक नाम मेरा देखा हैं..
..इशक की फरमाइश में मैनें बस इक नाम तेरा देखा हैं..!

Tuesday, 8 October 2013

..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..

..रात की बात सुबह करु तो..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..

Photo: ..रात की बात सुबह करु तो..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..
..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु..

..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु.. 

Sunday, 6 October 2013

..तुम हो की..

..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..

Photo: ..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..
..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!

..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!

Saturday, 28 September 2013

..हौसलों के आगे कुछ सुना हैं मैने जीत सा बनता हैं..

..हौसला हैं बुलंद आवाजें हैं ढीठ..
..रात के कोने में सुलगती ये गीत..
..पीठ-पीछे ये तेरा उठना हैं लाजिम..
..मेरी मुठ्ठी में बंद तेरे किस्मत की लाठी..
..कब सुबह का जगना हैं..
..कब रात का सोना..


..सो के नहीं हैं मुझे तुझे खोना..
..सपनें-रातों में तु आता नहीं..
..हाथों से छूट के भी तु मेरे जाता नहीं..
..शामों की संगीतों में..
..तु उठता कुछ धुन सा हैं..
..बादलों में जैसे शाम का कुहां बनता हैं..
..मेरे इरादों में तु कुछ ढीठ सा हैं..
..मेरी हिम्मत में तु मेरी कुछ वजूद सा हैं..
..राहें मेरे भले बेगानें हो तुझसे..
..हद-पार कर कर..
..ये चले है..
..तुझसे ही मिलाने मुझे..
..तु मेरा हैं मुझमें कुछ तेरा सा बनता हैं..
..हौसलों में तु मेरे कुछ हिम्मत सा बनता हैं..
..बंद मुठ्ठी में मेरे सपनें सा दिखता हैं..
..मेरी बातों में कहानी सा बनता हैं..
..कुछ अलग नइ रवानी सा बनता हैं..
..हौसलों के आगे कुछ सुना हैं मैने जीत सा बनता हैं..
..हौसलों में बुलंद आवाजें हो तो..
..कुछ गीत सा बनता हैं..
..देखा हैं मैने बंद मुठ्ठी के सामने..
..कुछ जीत सा बनता हैं..!

Wednesday, 25 September 2013

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..

..यूँ टूट के तुमको चाहेंगें..
..सपनों के बहाने आके तेरे..
..दिल में बस जाऐगें..



..यूँ तुमेह खुद में ऐसे डूबोंऐगें..
..जुबा पे तेरे बस मेरे ही चचें रह जाऐगें..
..आँखों से होके दिल में ऐसे उतर जाऐगे..
..ख्वाबों के बहानें सपनों में..
..बस हम ही आऐगे..
..तेरी रूह में बस जाऐगे..
..काली रातों के बीच तुम्हें जगाऐगे..
..सीने में बसाऐगे लबों पे सजाऐंगे
..जां तुझे खुद में कैसे बसाऐगे..
..पन्नों पे ये जाँ हम कैसे सज़ाऐगे..
..यूँ टूट के बस तुमको चाहेंगे..
..सपनों में तेरे सिवा हम और क्या सज़ाऐगे..
..तेरी जुल्फें काली घटा हम नज़रों से अपनें कैसे हटाऐगे..
..जां तेरे सिवा हम किसको कैसे अपनाऐगे..
..रुठें रहेंगे ज़मानें से..
..और इकरार-ए-करार नाम तेरे करते जाऐगे..!

Monday, 23 September 2013

Nitesh Verma Poetry

..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..

Photo: ..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..आँखों में मेरे तेरे सपनें हज़ार हैं..
..तुझे दिल में बसा लूं..
..होंठों पे सज़ा लूं आँखों से चुरा लूं..
..इकरारें ये मेरे सारे करार हैं..
..मागूँ तुझे मैं हर दुआओ में..
..हसरते खातिर तेरे मेरे हज़ार हैं..
..इशक मे तेरे डूबे रहने को..
..मन्नतें मेरे हज़ार हैं..
..संग तेरे रहने के बहाने..
..ढूंढें मैने हज़ार हैं.. 
..जुल्फें तेरे मेरे आशियां के बने रुखसार हैं..
..हैं कहना दिल को मेरे तुझसे..
..मागें तेरे खातिर मैनें खुशीयाँ हज़ार हैं..
..आजा इक बार..
..तु सीने से लग जा मेरे..
..तमन्ना ये मेरे दिल के ये हज़ार हैं..
..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..लो लगा लो सीने से इसे..
..तुझे इसे इकरार-ए-प्यार हैं..!

..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..आँखों में मेरे तेरे सपनें हज़ार हैं..
..तुझे दिल में बसा लूं..
..होंठों पे सज़ा लूं आँखों से चुरा लूं..
..इकरारें ये मेरे सारे करार हैं..
..मागूँ तुझे मैं हर दुआओ में..
..हसरते खातिर तेरे मेरे हज़ार हैं..
..इशक मे तेरे डूबे रहने को..
..मन्नतें मेरे हज़ार हैं..
..संग तेरे रहने के बहाने..
..ढूंढें मैने हज़ार हैं..
..जुल्फें तेरे मेरे आशियां के बने रुखसार हैं..
..हैं कहना दिल को मेरे तुझसे..
..मागें तेरे खातिर मैनें खुशीयाँ हज़ार हैं..
..आजा इक बार..
..तु सीने से लग जा मेरे..
..तमन्ना ये मेरे दिल के ये हज़ार हैं..
..सौ बार ठिठक के कहे यें दिल मेरा..
..इसे तुझे प्यार हैं..
..लो लगा लो सीने से इसे..
..तुझे इसे इकरार-ए-प्यार हैं..!

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सौ_बार_ठिठक_के_कहे_यें_दिल_मेरा.pdf

Sunday, 22 September 2013

..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!

Photo: ..तुम क्या समझते हो..
..मै तुम्हारी तरह साज़िश नहीं कर सकता क्या वर्मा..?
..बस खुदा से ये फरियाद करते-करते..
..मेरे जैसा किसी के साथ ना हो..
..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!
..तुम क्या समझते हो..
..मै तुम्हारी तरह साज़िश नहीं कर सकता क्या वर्मा..?
..बस खुदा से ये फरियाद करते-करते..
..मेरे जैसा किसी के साथ ना हो..
..तुम आबाद हो गये और मैं बर्बाद..!

..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..

..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..
..खोया रहा क्यूं मैं तेरी फरियादों में..
..सुना दिल की बात मैं क्यूं रहा गुमनामों में..
..हैं कोइ मेरा अब वजूद क्या..

Photo: ..तन्हा रहा क्यूं मैं तेरी यादों में..
..खोया रहा क्यूं मैं तेरी फरियादों में..
..सुना दिल की बात मैं क्यूं रहा गुमनामों में..
..हैं कोइ मेरा अब वजूद क्या..
..मैं क्यूं रहा नाम बनके अफसानों में..
..तन्हा सितारें अब कटते नहीं..
..हैंरानियां रात की अब हटती नहीं..
..बदलें बरसात की सावन अब घटा भी गरज़ती नहीं..
..क्या हुआ अब वक्त को ये भी बदलता नहीं..
..हुआ क्या सबेरा को रात के बाद अब आती क्यूं नहीं..
..मैं हैंरां क्यूं ना होउं..
..तन्हाइयों में ये आवज़ कैसी..
..तेरा ज़ब साथ नहीं तो फिर आवाज़ कैसी..
..हरकते कैसी मेरा लिखना कैसा तेरा समझना कैसा..
..मेरी बातें कैसी और कोइ यादें कैसी..
..ये तन्हा कैसा ये रातें कैसी..
..मैं क्यूं रहा नाम बनके अफसानों में..
..तन्हा सितारें अब कटते नहीं..
..हैंरानियां रात की अब हटती नहीं..
..बदलें बरसात की सावन अब घटा भी गरज़ती नहीं..
..क्या हुआ अब वक्त को ये भी बदलता नहीं..
..हुआ क्या सबेरा को रात के बाद अब आती क्यूं नहीं..
..मैं हैंरां क्यूं ना होउं..
..तन्हाइयों में ये आवज़ कैसी..
..तेरा ज़ब साथ नहीं तो फिर आवाज़ कैसी..
..हरकते कैसी मेरा लिखना कैसा तेरा समझना कैसा..
..मेरी बातें कैसी और कोइ यादें कैसी..
..ये तन्हा कैसा ये रातें कैसी..


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..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..

..गहरी खामोशियों का साथ हैं..
..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..
..क्यूँ खोउँ मैं तुझे..
..क्यूं तलाशूं कही और तुझे मैं..
..तु हर वक्त मेरे साथ हैं..
..मेरा तु वजूद हैं..
Photo: ..गहरी खामोशियों का साथ हैं..
..ऐ वक्त हर वक्त बस तेरी ही बात हैं..
..क्यूँ खोउँ मैं तुझे..
..क्यूं तलाशूं कही और तुझे मैं..
..तु हर वक्त मेरे साथ हैं..
..मेरा तु वजूद हैं..
..तु ही बता मैं क्या करूं..
..जिउँ तेरी खामोशियों को..
..या फिर करुँ अपनी मौत का इन्तेज़ार..
..तु हैं की मुझसे जुडता नहीं..
..कहीं वो ही जुड जाएं मेरे किसी बहाने से..
..यकीं मानो खामोशीयाँ मेरी अब मुझे सताती हैं..
..रैनों से कहानीयाँ कोइ बरसाती हैं..
..ओ तु वक्त हैं ना तु नहीं बदलेगा..
..फितरत अपनी छोडेगा नहीं ना..
..चलो ठीक हैं..!
..अए वक्त अब मैं बदलता हूँ..
..तेरे ही वक्त मे अब मौत चुनता हूँ..
..कह लेना जो कुछ कहना हो..
..गर तुमेह पीठ-पीछे मेरे..
..ज़िन्दगी यूं ही तन्हा बिताने का नाम नहीं होती..!

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..तु ही बता मैं क्या करूं..
..जिउँ तेरी खामोशियों को..
..या फिर करुँ अपनी मौत का इन्तेज़ार..
..तु हैं की मुझसे जुडता नहीं..
..कहीं वो ही जुड जाएं मेरे किसी बहाने से..
..यकीं मानो खामोशीयाँ मेरी अब मुझे सताती हैं..
..रैनों से कहानीयाँ कोइ बरसाती हैं..
..ओ तु वक्त हैं ना तु नहीं बदलेगा..
..फितरत अपनी छोडेगा नहीं ना..
..चलो ठीक हैं..!
..अए वक्त अब मैं बदलता हूँ..
..तेरे ही वक्त मे अब मौत चुनता हूँ..
..कह लेना जो कुछ कहना हो..
..गर तुमेह पीठ-पीछे मेरे..
..ज़िन्दगी यूं ही तन्हा बिताने का नाम नहीं होती..!

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Saturday, 21 September 2013

..मेरी दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..


..मेरी दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..
..मेरी साँसों पे लिख्खा हैं इक बस नाम तेरा..
..मेरी नींदों के बीच हर इक ख्वाबों पे..
..लिख्खा है इक बस नाम तेरा..
..मेरी हर दुआ के पीछे लिख्खा हैं..
..इक बस नाम तेरा..
..मेरी मंगत मेरी हर गुहार में लिख्खा हैं..
..बस इक नाम तेरा..
..मेरी बातें तेरी जिक्र..
..मेरी यादों के बीच लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..
..समझ बातें मेरी मुहब्ब्त मेरी..
..हर बदनामी के पीछे ना लिख नाम मेरा..
..मेरी आशिकी मेरी अवारगी को चाहें तु जो नाम दे..
..इसे बस फरेबी गवारां मत समझना..
..क्यूँकि तेरी हर रात पे लिख्खा ह..
..बस इक नाम तेरा..
..आया हैं फरिश्तों का..
..इक बस यहीं ज़िन्दगी मे पैगाम मेरा..
..यकीं कर मेरे दिल पे लिख्खा हैं बस इक नाम तेरा..

..मौला कौन हूँ मैं..?

..मौला कौन हूँ मैं..?
..मेरा घर कहां..?
..अब तु बता छोड तुझे अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मेरे सपनों में तु साथी हैं..
..ज़िन्दगी से हैरां अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मौला तु बता मौला तु दिखा..
..रात का वो ढलता सबेरा कहाँ..?
..मैं जाउँ अब कैसे वहाँ..
..जहां तु सभी की सुनता सदा..

Photo: ..मौला कौन हूँ मैं..?
..मेरा घर कहां..?
..अब तु बता छोड तुझे अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मेरे सपनों में तु साथी हैं..
..ज़िन्दगी से हैरां अब मैं जाउँ कहाँ..?
..मौला तु बता मौला तु दिखा..
..रात का वो ढलता सबेरा कहाँ..?
..मैं जाउँ अब कैसे वहाँ..
..जहां तु सभी की सुनता सदा..
..मैं हैरां हूँ अपने बात से बहकी हुइ अल्फाज़ से..
..मौला तु सुना मेरे घर का पता..
..मैं तुझसे हूँ तेरी बातोँ में..
..मैं रह गया तेरी यादों में..
..भूल अपनी घर का पता मैं रह गया समाज़ों में..
..भूल खुद का चेहरा सदा..
..मेरा कौन है तेरे सिवा मौला मेरा तु है इक सदा..
..मैं तुझसे हूँ अब जुडने लगा..
..तु बता मौला मेरे घर का पता..
..मौला मैं तो अब सोने चला..
..ढूंढ अपने घर पता..
..जो सूकुँ हैं मेरे घर के अन्दर..
..देख आया था वो बिता मैं तेरे मन्दर..
..हैं हकीकत में तेरा चेहरा यहाँ..
..ये घर ही हैं अब मेरा मन्दिर..!

..मैं हैरां हूँ अपने बात से बहकी हुइ अल्फाज़ से..
..मौला तु सुना मेरे घर का पता..
..मैं तुझसे हूँ तेरी बातोँ में..
..मैं रह गया तेरी यादों में..
..भूल अपनी घर का पता मैं रह गया समाज़ों में..
..भूल खुद का चेहरा सदा..
..मेरा कौन है तेरे सिवा मौला मेरा तु है इक सदा..
..मैं तुझसे हूँ अब जुडने लगा..
..तु बता मौला मेरे घर का पता..
..मौला मैं तो अब सोने चला..
..ढूंढ अपने घर पता..
..जो सूकुँ हैं मेरे घर के अन्दर..
..देख आया था वो बिता मैं तेरे मन्दर..
..हैं हकीकत में तेरा चेहरा यहाँ..
..ये घर ही हैं अब मेरा मन्दिर..!

Thursday, 19 September 2013

..तेरे साथ जीना अच्चा लगता हैं..!

..ऐ रात तु यूँ ही सदा बनी रह ज़िन्दगी मे मेरे..
..इन अन्धेरों मे जीना अच्छा लगता है..
..गहरी खामोशीयाँ.. बहती धीमी हवाएँ..
..धीमें-धीमें आँखों का लगना..
..और उस धीमी-धीमी बारिशों की रात में..


..सारी ख्वाहिशें मेरी मर जाती हैं धूल सी जाती हैं..
..मै फिर से जीनें को तैयार हो जाता हूँ..
..नइ बात के साथ नइ रात के साथ..
..अरमां फिर से जग जाते हैं मेरे..
..रातों की गहरी कौंध में हो जाती हैं..
..पहचान मेरे वजूद की..
..सारी बातें हो जाती हैं मेरी पूरी..
..फिर से रंग जाती हैं ज़िन्दगी मेरी..
..रात वो सारी राज़ें छुपा लेना चाहती हैं..
..चाहती हैं मुझे बनना खुद के काबिल..
..दिखाती हैं समझाती हैं सुनाती हैं..
..हर दांव-पेंच मुझे ये दुनियां-दारी के..
..मुहब्ब्त इतनी देखके जुड जाती हैं..
..खुद-ब-खुद हाथें मेरी नमाज़ों में..
..हाथों की लकीरों में फिर से तस्वीरें बन बैठी हैं तेरी..
..एक सुबह लिए मेरी..
..अए रात तु हैं बहोत वफादार जीना तो मुझे आता नहीं..
..बात-बात पे लेता हूँ कभी तेरा तो कभी खुद का सहारा..
..तु यूँ ही बनी रह हर-रोज़ ज़िन्दगी में मेरे..
..तेरे साथ जीना अच्चा लगता हैं..!

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ऐ_रात_तु_यूँ_ही_सदा_बनी_रह_ज़िन्दगी_मे_मेरे.pdf

Wednesday, 18 September 2013

..मन बांवराँ ये जान के भी तो मरे..!

..ओ रे साज़ना हैं तुझसे इसे कुछ कहना..
..बनके तेरा ही रहना या जीते-जी खुद मे मरना..
..सीनें से लगा ले इसे..
..नैंनों मे बसा ले इसे..
..दिल मे छुपा ले इसे..
..सुन ले तु कुछ इसके भी..
..सपनों से उतर के कभी..

..ज़िन्दगानी इसकी बन जा तु भी कभी..
..तुझ बिन यें उल्झा रहें खुद से ना जानें क्यूँ..
..सँवार के ये सपनें तेरे दौडा फिरे पीछे तेरे..
..तकता रहे राहें तेरे अब बिन मंज़िलों के बिन कसमों के..
..उल्झा रहे ये तेरे ही बातों मे..
..कहना ना मानें मेरा मेरी जबानों मे..
..होके अवारा ये चुरा के ये तुझसे ही नज़रें..
..देखा करे ये जी-भरे तुझे..
..मचलने लगे ये सीने मे बनके दो दिल..
..गुजरने लगे बिन तुम्हारें ये बस होके इक अधूरी सी ज़िन्दगी..
..लेने लगी अब ये साँसें जो ठहरी थी मेरी..
..आ तू ही बता दे इसे..
..तु नही किस्मत मे मेरे..
..कम से कम मन बांवराँ ये जान के भी तो मरे..!

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ओ_रे_साज़ना_हैं_तुझसे_इसे_कुछ_कहना.pdf

..हो गया यकीं इक मुझे मेरे होने पर..

..ज़िन्दगी हैं हैरां और बातें हैं परेशाँ..
..दिन हैं गुमशुदा और रातें हैं बेनाम..
..हालातें बनी हैं मेरी कुछ ऐसी..
..की जान के खुदा भी हैं अन्ज़ान..

..बस तरसती पत्तियाँ.. धीमी बहती हवाएँ..
..और सूनी राहों का मेरा सफ़र..
..यें ही हैं कुछ बने साथी मेरे..
..मंज़िलों पे हैं जो चले मिलाने मुझे..
..हो गया यकीं इक मुझे मेरे होने पर..
..इक तरफ तुम और तुम्हारी बातें..
..दूसरी तरफ मैं और मेरे अफसानें..!

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ज़िन्दगी_हैं_हैरां_और_बातें_हैं_परेशाँ.pdf

Sunday, 15 September 2013

..कोइ क्या सुधारेगा देश को..

..कोइ क्या सुधारेगा देश को..
..खुद की जान जब सँभलती नहीं..
..कोइ क्या करेगा राजनीतिक दावा..
..जब सत्तें में कोइ उनका बाप नहीं..
..जब बिकाउ हो चली हैं सारी कायनात..

..तो फिर ये थानेदार और फ़ौज क्यूँ नहीं..
..लगता हैं बस बेबसी और गुस्से आलम..
..जब दिखाती हैं मिडीया सरहद पार खडे बेबस फ़ौजें हमारें..
..हैं  वहा कुछ क्या शायद मुझे पता नहीं..
..दुश्मन तो भरे हैं मन भर अन्दर ही अन्दर..
..इन्सानियत संग इमानों को भी हैं बेच चले ये सत्तों के ठेकेदार..
..सत्तें में हैं ये इतने उल्झे के उन्हें नहीं हैं खुद का कुछ होश..
..सरे-आम दलाली.. घुसखोरी..  बलत्कार.. हत्या जैसी कान्ड..
..इन्हें भला हैं क्यूँ नज़र नहीं आती..
..आँखों पे चढा ये खुद का इनका काला चश्मा..
..रंग बेरंग सा बनाता हैं..
..और मेरे लिखने से ये कुछ बदलेगा भी नहीं..
..ठीक तो अलग सहीं से कानों में जूँ की तरह रेंगेंगा भी नहीँ..
..करनी हैं देश-सेवा सुधारनी हैं सत्ता..
..करना हैं कुछ काम तो बंद करो यूं दूर से ही कुछ करना बकवास..
..खुली हैं सत्ता आओ कर लो पुरा अपना काम..
..हो सके तो आओ बढाओ देश का कुछ मान..
..नहीं तो बस यूँ ही खामोश रहों..
..आवाजें ना यूं पीठ पीछे उडाओ..
मैने देखा हैं कोशिशों की जीत होती हैं लिखने वालों की हार..!

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कोइ_क्या_सुधारेगा_देश_को.pdf

..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..


..तेरे लबों पे मेरा ज़िकर अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे आँखों में मेरा वजूद अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे हाथों की मेहन्दी में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी एक रात बाकी हैं..
..तेरे होने की.. तेरी खोने की.. बातें मुझे अभी सताती हैं..
..तु जो करता हैं बातें ऐसी..
..मेरी आँखों में इक ख्वाबें..ए..शर्म चढाती हैं..
..गुज़रती हैं  ज़िन्दगी मेरे सपनों में खोके तेरे..
..तेरे हिस्सें में मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..तेरे होने पे मेरा हिस्सा अभी कुछ बाकी हैं..
..कुछ लम्हा मेरा और बाकी हैं..
..तुझे पता नहीं या शायद तु मेरी बातों का मोहताज़ नहीं..
..कर यकीं मेरा..
..तेरे लबों पे मेरा नाम अभ्भी बाकी हैं..
..ठहर मेरे सपनों में तु अभी मेरी इक रात अभ्भी बाकी हैं..!

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तेरे_लबों_पे_मेरा_ज़िकर_अभ्भी_बाकी_हैं.pdf

Friday, 13 September 2013

..बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..

Photo: ..आज़ फिर उसके बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..
..आज़ फिर उसके हाथों में भरी बन्दूक देखी है मैनें ..!
..आज़ फिर उसके बच्चें सो जाएँगे यूँ ही भूखे..
..आज़ फिर उसके हाथों में भरी बन्दूक देखी है मैनें ..!

..सुनूगां तो फिर तडप उठूंगा..


..बस करो अपने सीने मे ही दबाएं रख्खों बातें फरेबी..
..सुनूगां तो फिर तडप उठूंगा..!

..ये बहती हवाएँ..


..ये बहती हवाएँ दिल को सुनाएँ..
..याद दिलाएं ज़िया धडकाएं..
..बहती हवाएं.. ये बहती हवाएँ..
..कभी तेरी ये जुल्फें संवारे..
..याद बनके पुकारे..
..ढूँढें तुझे यूं ही कही मुझमें..
..अपनी सरगम सजाएं मेरी होंठों से बजाएँ..
..तेरी याद दिलाएँ तन्हा रात जगाएँ..
..आशिकी मेरी बढाएँ..
..ये बहती हवाएँ.. ये बहती हवाएँ..
..शाम-सबेरें रातें-दुपहरी तेरा ही बस अक्स आये नज़र..
..बातें तेरी बनके यादें मेरी..
..खुशनुमां सपने मेरे दिल पे संजोएँ..
..ये बहती हवाएँ तेरी जुल्फें बहकाएं..
..तुझे जान ये मेरे पास बुलाएँ..
..करती ये कोशिशें पिया संग मिलाएँ..
..नैना सजाएँ मेरी आशियां बनाएँ..
..हां ये बहती हवाएं.. बहती हवाएँ..!

यें मेरी ज़िन्दगी..

Photo: कैसी हो चली हैं यें मेरी ज़िन्दगी.. 
..सिर्फ यादों मे ही गुज़रती जा रही हैं..!
कैसी हो चली हैं यें मेरी ज़िन्दगी.. 
..सिर्फ यादों मे ही गुज़रती जा रही हैं..!

Wednesday, 11 September 2013

..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..


..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..
..बनके दीवाना मैं होके अवारा मैं..
..ढूँढू तुझे अब मैं शामों-शहर..
..करु जो बातें मैं या फरियादें मै..
..नाम तुम्हारा बस आये नजर..
..तन्हा जो बैठूँ मैं सपने जो संजोउ मैं..
..जिक्र तेरा यूँ ही कर जाएँ खामोश लब मेरे..
..मांगू मैं हरदम देखु मैं हर लम्हा..
..तुझे अपने ख्वाबों मे अब..
..डूबे आँखें मेरी तेरी इनायत मे..
..कर लू तुझे मैं अपनी साँसों में..
..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..
..तु मुझमे मैं तुझमे रहे यूं ही गुमशुदा..
..बातें हालातें मेरी रातें गुजारी संग तेरे..
..आएँ बिन तेरे ना कुछ भी नज़र..
..जुल्फें संवारु मैं लबो को संजाउ मैं..
..हैराँ कर तुझे गले लग जाउँ मैं..
..तेरा अक्स ही वजूद मेरा..
..तेरा एहसास ही नसीब मेरा..
..तेरी धडकन मेरी सांसों हैं जुडी..
..तेरा मुझमे हैं खोना मेरा रब का हैं होना..
..और रातें संजोना सारी बातें मेरी तुझसे है ये सारे जहाँ से कहना..
..तु है इक बस मेरा मेरा खुद से है ये कहना..
..हारा मैं हारा दिल तुझपे मैं हारा..
..ओ यारा मेरे यारा दिल तुझपे मैं हारा..!

Tuesday, 10 September 2013

..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..

Photo: ..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..
..सावरियां खोना हैं भरी रैन अब सारी रात पहरियाँ..
..सावरियां होना हैं तेरी नींद अब मुझे आठों पहरियाँ..
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब क्या रात..? क्या दिन..?
आठों पहरियाँ.. सावरियाँ..!
..हैं क्या वो बात या तेरी याद बांधे हैं मुझे..
..मेरी नज़रों से होंठों को तेरे.. सावरियाँ..
..पलके तेरे गिरे अरमां मेरे जां कितने बिखरे..
..दानें-ख्वाबों के कौन कबूतरों की तरह चुने..
..सारी रश्में फिर कौन झूठी वादों संग बुने..
..सावरियाँ रहना हैं क्या अब दूर मुझसे..
..दिन-रात संग क्या आठों पहरियां.. सावरियाँ..
..कितनी फरेबियत है आडे भोली चेहरे के सहारे..
..नैनों में सुरमां लगे तो फिर कोइ क्यूँ आंसू ना बहे..
..होंठों से छ्ल्के-छ्ल्के जाम आंखों में जगती सी प्यास..
..सावरियाँ जगे रहना हैं ख्बाबों विच तेरे याद..
..जैसे रात अंधेरे विरान हुआ संसार..
..सावरियाँ ना आना हैं अब तेरी गली अब आया समझ..
..क्यूं हैं रात ये अंधेरी मेरी तुझसे इतनी दूर खडी सावरियाँ..!
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब दिन-दुपहरियाँ..
..सावरियां खोना हैं भरी रैन अब सारी रात पहरियाँ..
..सावरियां होना हैं तेरी नींद अब मुझे आठों पहरियाँ..
..सावरियाँ आना हैं तेरी गली अब क्या रात..? क्या दिन..?
आठों पहरियाँ.. सावरियाँ..!
..हैं क्या वो बात या तेरी याद बांधे हैं मुझे..
..मेरी नज़रों से होंठों को तेरे.. सावरियाँ..
..पलके तेरे गिरे अरमां मेरे जां कितने बिखरे..
..दानें-ख्वाबों के कौन कबूतरों की तरह चुने..
..सारी रश्में फिर कौन झूठी वादों संग बुने..
..सावरियाँ रहना हैं क्या अब दूर मुझसे..
..दिन-रात संग क्या आठों पहरियां.. सावरियाँ..
..कितनी फरेबियत है आडे भोली चेहरे के सहारे..
..नैनों में सुरमां लगे तो फिर कोइ क्यूँ आंसू ना बहे..
..होंठों से छ्ल्के-छ्ल्के जाम आंखों में जगती सी प्यास..
..सावरियाँ जगे रहना हैं ख्बाबों विच तेरे याद..
..जैसे रात अंधेरे विरान हुआ संसार..
..सावरियाँ ना आना हैं अब तेरी गली अब आया समझ..
..क्यूं हैं रात ये अंधेरी मेरी तुझसे इतनी दूर खडी सावरियाँ..!


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सावरियाँ_आना_हैं_तेरी_गली_अब_दिन.pdf