Thursday, 2 July 2015

फिक्र ये तेरा नहीं उनका हैं वर्मा

होनी होगी तो फिर होगी बरसात
तू क्यूं मरें जा रहा है यूं ही बेबात।

तू तो अलग होके रह गया था ना
फिर क्यूं आ गई वहीं मुश्किलात।

जिंदा हैं तब तक जिक्र कर ले वो
मरने के बाद कहाँ होंगी ऐसी रात।

नेकियों का भी तो कुछ सिला हैं ये
बच्चे आये हैं करने जमीं जायदाद।

फिक्र ये तेरा नहीं उनका हैं वर्मा
कहते थे जो बदलेंगे ये तंगेहयात।

नितेश वर्मा

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