उसको कहाँ कभी कोई आराम आया है
जिसको ताउम्र मुझसे ही काम आया है।
वो जो यूं जलाकर मुझे राख करने पर है
जीतके वो शहरयार का इनाम आया है।
कर दो और भी मुझे खुदमे शर्मिंदा तुम
होके बदनाम जिसको एक नाम आया है।
जैसा करेगा वैसा भरेगा तू भी यहाँ वर्मा
ले के कौन सा तू पीर-ए-ज़ाम आया है।
नितेश वर्मा और आया है।
जिसको ताउम्र मुझसे ही काम आया है।
वो जो यूं जलाकर मुझे राख करने पर है
जीतके वो शहरयार का इनाम आया है।
कर दो और भी मुझे खुदमे शर्मिंदा तुम
होके बदनाम जिसको एक नाम आया है।
जैसा करेगा वैसा भरेगा तू भी यहाँ वर्मा
ले के कौन सा तू पीर-ए-ज़ाम आया है।
नितेश वर्मा और आया है।
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