जनहित में तो बहोत कुछ जारी हुआ
वर्मा अजीब ये सरकारी बीमारी हुआ
अबके जो मेरे साथ जला दिया जायेगा
ता-उम्र बस यहीं इक खरीददारी हुआ
तो खून खौलता है उसका हर बात पे
कोई बताएं ये कैसा समझदारी हुआ
इस चार-दीवारी से घुटन हैं मुझे वर्मा
निगाहें देख उसे मुझे ये लाचारी हुआ
अब तो रस्ते बदल के है सजदा किया
कोई न कहें कैसे रोजा-अफ्तारी हुआ
नितेश वर्मा
वर्मा अजीब ये सरकारी बीमारी हुआ
अबके जो मेरे साथ जला दिया जायेगा
ता-उम्र बस यहीं इक खरीददारी हुआ
तो खून खौलता है उसका हर बात पे
कोई बताएं ये कैसा समझदारी हुआ
इस चार-दीवारी से घुटन हैं मुझे वर्मा
निगाहें देख उसे मुझे ये लाचारी हुआ
अब तो रस्ते बदल के है सजदा किया
कोई न कहें कैसे रोजा-अफ्तारी हुआ
नितेश वर्मा
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