Sunday, 26 July 2015

बेफिक्र रहा है रात भर

बेफिक्र रहा है रात भर
दिल ये तन्हा खुद से हार कर
आके हैं ठहरा क्यूं यूं ही
ये नाम आखिर तेरे नाम पर

कोई कहानी है अगर
दिल की जुबानी है अगर
होठों से अपने तुम पढो
मेरा हाथ रखकर
अपने हाथ पर
थोड़ी शिकायत तुम करो
थोड़ा सा मुश्किल मैं लगू
हर बात को रखकर
इस बात पर
खुदको सबसे आजाद कर
मिल जा गलें मुझसे
कोई बरसात कर
बेफिक्र रहा है रात भर
दिल ये तन्हा खुद से हार कर

नितेश वर्मा और बेफिक्र

No comments:

Post a Comment