Wednesday, 1 July 2015

जहाँ तक हो ये आवाज़ कर दो

जहाँ तक हो ये आवाज़ कर दो
सर हमारे भी इक ताज़ कर दो

किस साहिबेमसनद को बताएं
गूंगेबहरी वाली सामाज़ कर दो

हम ही इक मालिक है यहाँ के
इसे इश्तेहार तुम आज कर दो

कितना कुछ मुझमें वो छोड़ गई
बस उन्हें मुझमें इक राज़ कर दो

नितेश वर्मा

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