ठहर गयी तुझे देखकर मेरी आवाज़ क्यूं
कोई बेहिसाब छेड़ गयी बात
मुझे देखकर तेरी आवाज़ क्यूं
कबसे ख्वाबों में ड़ूबी थीं निगाहें उसकी
मुझपे आकर रुक गयी
उसकी हर तालाश क्यूं
यही ख्याल कबसे परेशां कर रहा मुझे
किस्मत-ए-शर्तों पे गुजारी
भरी जिंदगी-ए-शराब क्यूं
मुहब्बत की यूं आजमाइश करने को है
कब तलक गुनाहों में रहे
नाम तेरा वर्मा बर्बाद क्यूं
ठहर गयी तुझे देखकर मेरी आवाज़ क्यूं
कोई बेहिसाब छेड़ गयी बात
मुझे देखकर तेरी आवाज़ क्यूं
नितेश वर्मा
कोई बेहिसाब छेड़ गयी बात
मुझे देखकर तेरी आवाज़ क्यूं
कबसे ख्वाबों में ड़ूबी थीं निगाहें उसकी
मुझपे आकर रुक गयी
उसकी हर तालाश क्यूं
यही ख्याल कबसे परेशां कर रहा मुझे
किस्मत-ए-शर्तों पे गुजारी
भरी जिंदगी-ए-शराब क्यूं
मुहब्बत की यूं आजमाइश करने को है
कब तलक गुनाहों में रहे
नाम तेरा वर्मा बर्बाद क्यूं
ठहर गयी तुझे देखकर मेरी आवाज़ क्यूं
कोई बेहिसाब छेड़ गयी बात
मुझे देखकर तेरी आवाज़ क्यूं
नितेश वर्मा
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