कोई दिल यूं खुमारी में कब तक रहे
आशिकी ये बीमारी में कब तक रहे।
कोई हर्ज ना हो तो कभी बताएं हम
जिंदगी-मौत सवारी में कब तक रहे।
कोई आकर मिटा दे इन दूरियों को
दो जां इस व्यापारी में कब तक रहें।
ये दौर बहोत मुश्किल से गुजरे है वर्मा
जां यूंही ये सरकारी में कब तक रहें।
नितेश वर्मा और कब तक रहें।
आशिकी ये बीमारी में कब तक रहे।
कोई हर्ज ना हो तो कभी बताएं हम
जिंदगी-मौत सवारी में कब तक रहे।
कोई आकर मिटा दे इन दूरियों को
दो जां इस व्यापारी में कब तक रहें।
ये दौर बहोत मुश्किल से गुजरे है वर्मा
जां यूंही ये सरकारी में कब तक रहें।
नितेश वर्मा और कब तक रहें।
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