Nitesh Verma Poetry
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Wednesday, 1 July 2015
मजहब मेरा मुझे यही सिखाता रहा है
हर दर पर जाकर ये सर झुक जाता है
मजहब मेरा मुझे यही सिखाता रहा है।
नितेश वर्मा
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