Tuesday, 28 July 2015

A tribute to Kalam Sir By Nitesh Verma

एक और पन्ना बिछड़ गया .. किताब 📚 जिन्दगी की और सस्ती हो गयी। ‪#‎KalamSir‬‪ #‎RIP‬

नितेश वर्मा और जिन्दगी

कुछ ख्याल सवाल बन गए
ऐसे तो अपने हाल बन गए।

उसके शहर से मरे है दोनों 
जां जहां के बेहाल बन गए।

कोई मर गया याद आया यूं 
इक बात से कंगाल बन गए।

साथ रहा था वो शख्स मेरे 
जो गये तो मिसाल बन गए।

महज आँसू तो गिरे हैं वर्मा 
कहे तो ये कलाम बन गए।

नितेश वर्मा और बन गए।

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