Nitesh Verma Poetry
Home
�� Home
Poetry
Articles
Story
Contact
Contact
Thursday, 2 July 2015
उसकी बिगड़ती जुल्फें
उसकी बिगड़ती जुल्फें.. जो उसके गालों तक आयीं है.. आज वो फिर मुझे कितनी याद आयी हैं।
नितेश वर्मा और बिगड़ती जुल्फें
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment